श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अंत के बाद नाबालिगों को हिरासत में लिए जाने के आरोपों पर जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की किशोर न्याय समिति ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट देते हुए कहा है कि किसी भी बच्चे को राज्य में हिरासत में नहीं रखा गया है। हाई कोर्ट के 4 जजों ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाई कोर्ट के 4 जजों के दल ने राज्य की सभी जेलों का दौरा करते हुए अपनी जांच रिपोर्ट बनाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया। इस रिपोर्ट पर विश्वास जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बी आर गवई की खंडपीठ ने कहा कि वह हाई कोर्ट के जजों की जांच रिपोर्ट से पूरी तरह से संतुष्ट हैं।
जजों की रिपोर्ट पर संदेह का आधार नहीं: सुप्रीम कोर्ट
एक बाल अधिकार कार्यकर्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के जजों की रिपोर्ट पर संदेह का कोई भी आधार नहीं है। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट की रिपोर्ट से पूरी तरह से संतुष्ट हैं। अगर हम अपने ही जजों पर भरोसा नहीं करेंगे तो इससे लोगों के बीच न्यायपालिका की छवि पर नकारात्मक असर पड़ेगा। जांच करने वाले जजों की टीम ने अच्छा काम किया है और उन्होंने खुद जेलों का दौरा करने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी है।'
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से किया था दावा
याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी अर्जी में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का जिक्र किया था, जिसमें कश्मीर के कई बच्चों के हिरासत में होने का दावा किया गया था। इन रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने जजों की रिपोर्ट पर ही संतुष्टि जताई। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी विशेष शख्स के हिरासत में होने पर किसी राहत के लिए हाई कोर्ट में अपील के रास्ते खुले हैं।