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हाथ जोड़ बोला माल्या- तुरंत वापस ले लें पैसे

लंदन
शराब कारोबारी विजय माल्या ने एक बार फिर कहा है कि वह भारतीय बैंकों को मूल कर्ज की धनराशि वापस करने को तैयार है। भारत प्रत्यर्पित करने के खिलाफ अपनी अपील पर सुनवाई के अंतिम दिन गुरुवार को माल्या ने कहा कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय उसके साथ जो कर रहे हैं, वह अनुचित है।

माल्या ने कहा, 'मैं हाथ जोड़कर भारतीय बैंकों से निवेदन करता हूं कि वे अपने कर्ज की 100% मूल राशि तुरंत वापस ले लें।' शराब कारोबारी विजय माल्या भारत प्रत्यर्पित करने के खिलाफ अपनी अपील पर सुनवाई के अंतिम दिन गुरुवार को रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस पहुंच गया। इस दौरान अभियोजन किंगफिशर एयरलाइन के पूर्व प्रमुख के खिलाफ 'बेईमानी के काफी सबूत' होने की बात स्थापित करने के लिए दलीलें दीं।

माल्या पर है 9000 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप
माल्या (64) भारत में 9000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और धनशोधन के मामले में वांछित है। उसने बैंकों से लिया गया कर्ज नहीं चुकाया था। माल्या ने अदालत में प्रवेश करते हुए कहा कि उसे 'अच्छा' महसूस हो रहा है। भारत सरकार की से पेश हो रही राजशाही अभियोजन सेवा (सीपीए) माल्या के वकील के उस दावे का खंडन करने के लिए सबूतों को उच्च न्यायालय लेकर गई है, जिसमें कहा गया था कि मुख्य मैजिस्ट्रेट एम्मा अर्बुथनॉट ने यह गलत पाया कि माल्या के खिलाफ भारत में धोखाधड़ी और धन शोधन का प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

सुनवाई में शामिल होने कोर्ट पहुंचा माल्या
सीपीएस के वकील मार्क समर्स ने गुरुवार को बहस शुरू करते हुए कहा, 'उन्होंने (किंगफिशर एयरलाइन ने बैंकों को) लाभ की जानबूझकर गलत जानकारी दी थी।' लॉर्ड जस्टिस स्टेफन ईरविन और जस्टिस इलिसाबेथ लाइंग ने कहा कि वे 'बहुत जटिल' मामले पर विचार करने के बाद किसी ओर तारीख को फैसला देंगे।' दो न्यायाधीशों की यह पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। माल्या प्रत्यर्पण वॉरंट को लेकर जमानत पर है। उसके लिए यह जरूरी नहीं है कि वह सुनवाई में हिस्सा ले, लेकिन वह अदालत आया। वह मंगलवार से ही सुनवाई में हिस्सा लेने के लिए आ रहा है, जब अपील पर सुनवाई शुरू हुई थी।

सुनवाई में मौजूद रहे भारतीय उच्चायोग के अधिकारी
बचाव पक्ष ने इस बात को खारिज किया है कि माल्या पर धोखाधड़ी और धन शोधन का प्रथम दृष्टया मामला बनता है। बचाव पक्ष का जोर इस बात पर रहा कि किंगरफिशर एयरलाइन आर्थिक दुर्भाग्य का शिकार हुई है, जैसे अन्य भारतीय एयरलाइनें हुई हैं। समर्स ने दलील दी कि 32000 पन्नों में प्रत्यर्पण के दायित्वों को पूरा करने के लिए सबूत हैं। उन्होंने कहा कि न केवल प्रथम दृष्टया मामला बनता है, बल्कि बेईमानी के अत्यधिक सबूत हैं । जिला न्यायाधीश (अर्बुथनॉट) विस्तार से सबूत रखे गए थे और फैसला भी व्यापक और विस्तृत है जिसमें गलतियां है, लेकिन इसमें प्रथम दृष्टया मामले पर कोई असर नहीं पड़ता है। अपील पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और लंदन में भारतीय उच्चायोग के अधिकारी मौजूद रहे।

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