तिरुवनंतपुरम
अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका में 'हाउडी मोदी' इवेंट में हुए जोरदार स्वागत की तुलना पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी के स्वागत से करके फंस गए। थरूर ने एक तस्वीर ट्वीट कर कहा कि वर्ष 1954 में पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी का बिना विशेष जनसंपर्क अभियान और भीड़ प्रबंधन के कितना जोरदार स्वागत हुआ था। इस ट्वीट के बाद थरूर सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगे और बाद में उन्होंने सफाई दी कि यह तस्वीर अमेरिका की नहीं, बल्कि सोवियत संघ दौरे की है।
अपने पहले ट्वीट में थरूर ने तस्वीर पोस्ट कर लिखा, 'नेहरू और इंदिरा गांधी वर्ष 1954 में अमेरिका में थे। देखिए अमेरिकी जनता बिना किसी विशेष पीआर कैंपेन, एनआरआई क्राउड मैंनेजमेंट या बढ़ा-चढ़ाकर किए जा रहे मीडिया के प्रचार के अपने आप बड़ी संख्या में (नेहरू और इंदिरा गांधी को देखने) आई है।' थरूर के इस ट्वीट के बाद कॉमेंट की बाढ़ सी आ गई।
यूजर्स के निशाने पर थरूर
ज्योति नाम की एक यूजर ने दो तस्वीरें पोस्ट कर लिखा, 'आलसी लोगों के लिए यह पुरानी तस्वीर है। पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी की यह तस्वीर वर्ष 1956 के मास्को दौरे की है।' जितेंद्र प्रताप सिंह ने लिखा, 'पहली बात यह कि यह तस्वीर अमेरिका की नहीं बल्कि वर्ष 1956 के मास्को दौरे की है। यह कांग्रेस की असली संस्कृति को दिखाती है ..1954 में इंदिरा गांधी किसी भी पद पर नहीं थीं, फिर किस हैसियत से नेहरू उन्हें इस तरह रैली में लेकर निकले?'
थरूर को हुआ गलती का अहसास
ट्विटर पर ट्रोल होने के बाद शशि थरूर को अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने दोबारा ट्वीट किया, 'मुझे बताया गया है कि यह तस्वीर (जो मुझे फॉरवर्ड की गई थी) संभवत: सोवियत संघ दौरे की है न कि अमेरिका दौरे की। यदि ऐसा है तो भी इससे संदेश बदल नहीं जाता है। वास्तविकता यह है कि पूर्व प्रधानमंत्री भी विदेशों में लोकप्रिय रहे हैं। जब नरेंद्र मोदी सम्मानित होते हैं तो भारत का प्रधानमंत्री सम्मानित होता है। भारत के लिए सम्मान।'