तिरुवनंतपुरम
सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई द्वारा केरल के सबरीमला मंदिर में प्रवेश करने का ऐलान करने के बाद केरल सरकार ने उन्हें अदालत से इसकी अनुमति लेने की सलाह दी है। वहीं केरल के मंत्री के. सुरेंद्रन द्वारा इस संबंध में बयान दिए जाने के बाद देसाई ने कहा है कि जो लोग यह कह रहे हैं कि मंदिर में प्रवेश के लिए सुप्रीम कोर्ट की इजाजत चाहिए, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ही अपमान कर रहे हैं।
शुक्रवार शाम मीडिया से बात करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सबरीमला मंदिर को लेकर सुनाए गए फैसले पर रोक नहीं लगाई है। हमें मंदिर में प्रवेश के लिए सुरक्षा मिलनी चाहिए या नहीं इसका फैसला सरकार को करना है, लेकिन हम मंदिर जरूर जाएंगे। अगर लोग यह कह रहे हैं कि मंदिर में प्रवेश के लिए हमें कोर्ट की अनुमति की जरूरत है तो यह निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अपमान है।
देसाई ने किया था मंदिर में प्रवेश करने का ऐलान
इससे पहले 14 नवंबर को तृप्ति देसाई ने ऐलान किया था कि वह 16 नवंबर को सबरीमला मंदिर में दर्शन के लिए जाएंगी। इस दौरान देसाई ने कहा था कि मैने जो समझा है उसके अनुसार अदालत का आदेश आने तक महिलाओं के लिए प्रवेश खुला है और किसी को इसका विरोध नहीं करना चाहिए। जो लोग कहते हैं कि कहीं कोई भेदभाव नहीं है वे गलत हैं क्योंकि विशेष आयु वर्ग की महिलाओं को वहां जाने की अनुमति नहीं है। मैं 16 नवंबर को पूजा करने जा रही हूं। देसाई ने उच्चतम न्यायालय द्वारा केरल के मशहूर अयप्पा मंदिर में 10 से 50 वर्ष की आयुवर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर रोक हटाने के बाद पिछले साल नवंबर में मंदिर में प्रवेश करने की नाकाम कोशिश की थी।
केरल के देवस्वोम मंत्री ने दिया था बयान
देसाई के ऐलान के बाद शुक्रवार को केरल सरकार के देवस्वोम मंत्री के. सुरेंद्रन ने कहा था कि सबरीमला किसी प्रकार के आंदोलन का स्थान नहीं है। जिन भी लोगों को मंदिर में प्रवेश करना है, वह उच्चतम न्यायालय से इसकी इजाजत लेकर यहां आ सकते हैं।