भोपाल
प्रदेश के बहुचर्चित हनीटैप मामले में कालेजों की पढ़ने वाली छात्राओं को अपने फायदे के लिए घसीटा है। प्रकरण में करीब डेढ़ दर्जन छात्राओं के चेहरे सामने आए हैं। ये संख्या और बढ़ सकती है। आरोपियों ने छात्राओं की आर्थिक कमजोरी का फायदा उठाते हुए उनको अपनी मतलब के लिए यूज किया है। इसलिए पुलिस अब उक्त छात्राओं के पते ठिकानों पर पुलिस पूछताछ कर सकती है। वहीं कालेज संचालक भी अपनी छात्राओं की चौकसी बढ़ाने जा रहे हैं।
आए दिन हास्टल में रहकर पढ़ाई करने वाली छात्राओं के साथ कोई न कोई वारदात सामने आती रहती हैं। इसी कड़ी में हनीट्रैप जैसे अपराध को भी जुड़ गया है। भोपाल और इंदौर के ब्रांडेड कालेजों की छात्राओं का आरोपियों ने अपना मतलब निकालने के लिए जमकर इस्तेमाल किया है। पुलिस छात्राओं से ज्यादा सवाल जवाब नहीं करेगी, लेकिन उनके हस्टाल में पदस्थ वार्डन से छात्राओं की आवाजाही के संबंध में जरुर पूछताछ कर सकती है। जरुरत पड़ने पर उनके आवाजाही रजिस्टर को जब्त तक कर सकती है। क्योंकि ये रजिस्टर प्रकरण की पोल खोलने में अहम साक्ष्य बन सकते हैं।
हनीटैप प्रकरण में छात्राओं के नाम सामने आने के बाद कालेज संचालकों के पसीने छूटना शुरू हो गए हैं। इसलिए उन्होंने अपने कालेज में पढ़ने वाली छात्राओं की निगरानी करने की व्यवस्था जमाई है। अब वे अपने हास्टल के साथ बाहर रहने वाली छात्राओं पर भी पूरा फोकस रखेंगे। ताकि छात्राएं भविष्य में ऐसे किसी प्रकरण का शिकार नहीं हो सकें। यहां तक उनके माता-पिता से काउंसलिंग भी करेंगे, ताकि छात्राओं को आर्थिक तंगी के कारण अपराधों में शामिल होने से बचाया जा सके।
भोपाल और इंदौर में ढाई हजार कालेजों का संचालन हो रहा है। दोनों शहरों में 600 रजिस्टर्ड और बिना पंजीयन के हास्टल की कोई गिनती हैं। इसमें छात्राओं की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ दिखावे के लिए मापदंडों को पूरा किया जाता है। दोनों शहरों में पचास हजार छात्राएं पढ़ती हैं। हास्टल में करीब 18 हजार छात्राएं रहकर अपनी डिग्रियां कर रही हैं।