बिलासपुर
एक बड़े मामले पर हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है जिससे सूबे में खलबली मच गई है। कोई छोटी मोटी नहीं बल्कि 1000 करोड़ रुपए के गोलमाल का मामला है। रिट याचिका लगी हुई थी जिस पर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई हुई। फैसले को जैसे ही सार्वजनिक किया गया उसमें हाईकोर्ट ने 12 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर करने सीबीआई को कहा है कि पखवाड़े भर के भीतर सारे अभिलेख जप्त करें। सात आईएएस अफसरों समेत 12 अधिकारी लपेटे में आ रहे हैं। साथ ही सीबीआई से यह भी कहा है कि किसी प्रकार के मार्गदर्शन के लिए वे हाईकोर्ट से मदद ले सकते हैं।
दरअसल मामला समाज कल्याण विभाग से जुड़ा हुआ है। जिसमें याचिका दायर करने वाले ने यह आरोप लगाया था कि राज्य में जो राज्य श्रोत नि:शक्त जन संस्थान संचालित हो रहा था वह केवल कागजी था। पूरे सेटअप के नाम पर वेतन आहरण से लेकर सब कुछ किया जा रहा था। इस जन संस्थान के माध्यम से नि:शक्त जनों को प्रशिक्षण दिया जाना और उन्हें बेहतर जीवन उपलब्ध कराए जाने की कवायद की जाती थी। बीते दस सालों में इस संस्थान के माध्यम से एक हजार करोड़ का घोटाला किया गया। जबकि जो काम बताया जा रहा था वह कहीं हुआ ही नहीं है।
जिनके खिलाफ कार्रवाई करने हाईकोर्ट ने कहा है आदेश की कापी के मुताबिक श्री विवेक ढांढ, एम के राउत, आलोक शुक्ला, सुनील कुजूर, बीएल अग्रवाल, सतीश पांडेय, पीपी सोती, राजेश तिवारी, अशोक तिवारी, हेमंन खलखो, एमएल पांडेय और पंकज वर्मा के नाम शामिल हैं।