इंदौर
अब तक आपने शासकीय स्कूलों द्वारा बच्चों के दूषित भोजन की शिकायतें सुनी होगी लेकिन इंदौर में एक निजी स्कूल में दूषित भोजन का मामला सामने आने के बाद स्कूल प्रबंधन की लापरवाही उजागर हुई है। नतीजा ये हुआ कि स्कूल के 20 बच्चों को क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। ये सभी बच्चे फूड पॉइजनिंग का शिकार हुए थे।
दरअसल, पूरी घटना प्रदेश के सबसे बड़े ट्रस्ट द्वारा संचालित किए जा रहे स्कूल की है। इंदौर के वैष्णव ट्रस्ट द्वारा राजमोहल्ला क्षेत्र में संचालित किए जा रहे वैष्णव एकेडमी का मामला है। जहां फूड पायजनिंग के चलते 20 बच्चों को आनन फानन ट्रस्ट द्वारा संचालित क्लॉथ मार्केट हॉस्पिटल में इलाज के लिये भर्ती कराया गया। बताया जा रहा है स्कूल के पानी में बदबू की शिकायत आ रही थी जिसका ध्यान बच्चों ने शिक्षकों को भी दिलवाया था लेकिन बावजूद इसके लापरवाह शिक्षकों ने लंच के दौरान दूषित पानी से बनाए गए भोजन को सैंकड़ों बच्चों को परोस दिया।
आखिर में बच्चों को पेट दर्द की शिकायत होने लगी जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने पालको को बताये बगैर ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल में भर्ती भी करवा दिया। उसके बाद पालको को सूचना दी गई। श्री वैष्णव एकेडमी के छात्र सिमरतजोत सिंह की मानें तो स्कूल में गंदा पानी था जिसके चलते उन्हें अस्पताल लाया गया। वहीं दूसरी ओर राजेश चौहान, विशाल अग्रवाल और श्रीमती सोना सहित अन्य पालको ने बताया कि बच्चो को लंच में फफूंद वाला गोभी दिया गया था वही दूषित पानी की शिकायत भी पालको ने की है।
पालको की माने तो उनके बच्चे पिछले 15 दिनों से पेट दर्द की शिकायत कर रहे है। ऐसे में पालको ने निर्णय लिया है कि अब वे इस मामले की शिकायत स्कूली शिक्षा मंत्री को करेंगे। इधर, जहां स्कूल प्रबंधन की लापरवाही के चलते जहां फूड पायजनिंग का शिकार हुए 20 बच्चो की जान आफत में पड़ गई उधर, वैष्णव ट्रस्ट के तर्क अलग दिए जा रहे है। ट्रस्ट के गिरधर गोपाल नागर के मुताबिक ट्रस्ट के 2 स्कूल संचालित किए जाते है जिसमे वैष्णव बाल मन्दिर के 300 और एकेडमी के 400 बच्चे पढ़ते है जिन्हें आज लंच दिया गया था उस दौरान कुछ बच्चो को पेट दर्द की शिकायत थी जिन्हें अस्पताल लाया गया है और इनमें से 7 बच्चो की तुरन्त छुट्टी कर दी गई है और 12 बच्चो को शाम तक छुट्टी दे दी जाएगी वही 1 बच्चे का इलाज जारी रहेगा। हालांकि ट्रस्ट ये मानने को तैयार नही है कि स्कूल का भोजन दूषित होगा। अब जब ट्रस्ट इस बात को नही मान रहा है तो सवाल ये उठ रहा है कि पीड़ित बच्चो को अस्पताल क्यों लाया गया ? क्यों ट्रस्ट द्वारा इलाज करवाया जा रहा है ? क्या जिम्मेदार खाना बनाने वाले और दोषी शिक्षकों को बचाया जा रहा है ? सवाल ये भी उठता है कि पालक पिछले 15 दिनों की पीड़ा क्यों बता रहे है और क्यों नही पालको को समय पर सूचना दी गई ? फिलहाल, इन सवालों में वैष्णव एकेडमी और वैष्णव ट्रस्ट उलझता नजर आ रहा है क्योंकि सवाल मासूमो की जिंदगी का जो है।