हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में हमारे आसपास मौजूद हर वस्तु और हर व्यक्ति हम पर अपना प्रभाव डालते हैं। बात अगर रसोईघर की करें तो यह घर का बेहद महत्वपूर्ण भाग है और रसोईघर में इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन भी घर की सुख शांति और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परिजनों के बेहतर स्वास्थ्य और परिवार में प्रेम बनाए रखने के लिए बर्तनों को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। वास्तु शास्त्र में बर्तनों को लेकर कुछ उपाय बताए गए हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में।
टूटे हुए बर्तन परिवार में कलह की वजह बन सकते हैं। घर में अगर टूटी हुई क्रॉकरी या टूटे हुए बर्तन हों तो इन्हें तुरंत घर से बाहर निकाल दें। माना जाता है कि टूटे हुए बर्तन घर में दुर्भाग्य की वजह बनते हैं। रसोईघर में राशन कभी बिखरा न रहे। इसे किसी भी बर्तन में संभालकर रखें। ऐसा करने से परिवार में संपन्नता बनी रहती है। पूजा उपासना में तांबे या पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल करें। शयन कक्ष में कभी झूठे बर्तन न रखें। इससे जीवनसाथी के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। बच्चों के पढ़ाई वाले कक्ष में भी कभी झूठे बर्तन न रखें। कहा जाता है कि पढ़ते समय जूठे बर्तन अध्ययन कक्ष में रखे होंगे तो पढ़ाई में मन नहीं लगता है। घर में बैठकर या घर के बर्तनों में शराब आदि का सेवन कभी न करें। तांबे के पात्र में गंगाजल भरकर सिरहाने रखकर सोने से बुरे स्वपन नहीं आते हैं।
हमेशा ध्यान रखें कि घर के प्रवेश द्वार से रसोई का चूल्हा न दिखे। गैस चूल्हा और सिंक के बीच कुछ दूरी होनी चाहिए। रसोई घर में माइक्रोवेव, ओवेन, मिक्सर ग्राइंडर को दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। रसोई घर को स्वच्छ रखना चाहिए। जूठे बर्तनों को बहुत देर तक रसोई घर में नहीं छोड़ना चाहिए। एल्यूमीनियम के बर्तनों में कभी दूध नहीं रखना चाहिए। मिट्टी के बर्तनों का अधिक से अधिक प्रयोग करें। मिट्टी के बर्तनों में पकाए अन्न में ईश्वरीय तत्व माना जाता है।