मध्य प्रदेश

सूचना आयोग ने राज्य शासन को अर्दली भत्ता के लिए भेजा प्रस्ताव

भोपाल
मध्यप्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त अरविंद कुमार शुक्ला को रिटायरमेंट के बाद अर्दली चाहिए। राज्य सरकार इसके लिए उन्हें चौदह हजार रुपए अर्दली भत्ता देने की तैयारी में है। इसके लिए सूचना आयोग ने राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा है।

सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जज और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को रिटायरमेंट के बाद अर्दली की सुविधा की पात्रता है। अब मध्यप्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त ने भी इनके बराबर सुविधा की मांग की है। यह प्रस्ताव आयोग ने सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इस पर विधि विभाग और वित्त विभाग से अभिमत मांगा है। चूंकि सूचना का अधिकार अधिनियम में राज्यों के मुख्य सूचना आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर वेतन, भत्ते और सुविधाएं दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन वर्तमान में मध्यप्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त को रिटायरमेंट के बाद अर्दली की सुविधा दिए जाने का प्रावधान नहीं किया है। मुख्य सूचना आयुक्त ने राज्य सरकार से उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर सुविधाएं दिए जाने की मांग की है। इसके लिए उन्हें रिटायरमेंट के बाद अर्दली भत्ता देने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। वित्त विभाग की मंजूरी के बाद ही इस सुविधा का लाभ उन्हें मिल पाएगा।

राज्य सरकार यदि मुख्य सूचना आयुक्तों को रिटायरमेंट के बाद अर्दली भत्ता देने की मांग को मंजूर करती है तो इसका लाभ मौजूदा मुख्य सूचना आयुक्त अरविंद कुमार शुक्ला को तो मार्च 2024 में उनके रिटायरमेंट के बाद मिलेगा लेकिन इसके पहले सेवानिवृत्त हो चुके पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त पीपी तिवारी, इकबाल अहमद, टीएन श्रीवास्तव और केडी खान को भी इसका लाभ मिलेगा। इसके चलते राज्य सरकार के खजाने पर सालाना 84 लाख का भार बढ़ जाएगा।

रिटायमेंट के बाद मुख्य सूचना आयुक्त को सचिवालयीन सहायता और ढाई हजार रुपए के टेलीफोन भत्ते की भी पात्रता है। राज्य सूचना आयोग से इसके लिए भी राज्य सरकार के पास प्रस्ताव गया है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट के जज को सचिवालयीन सहायता के रुप में एक क्लर्क का वेतन और ढाई हजार रुपए टेलीफोन बिल की प्रतिपूर्ति शासन करता है इसलिए मध्यप्रदेश में भी इसी तर्ज पर राशि दिए जाने का प्रस्ताव भेजा गया है।

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