नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच का आदेश देते हुए एक जांच आयोग का गठन कर दिया है।मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस वीए एस सिरपुरकर की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया है। एनकाउंटर की जांच के लिए बने आयोग का दफ्तर हैदराबाद में बनाया जाएगा। इस आयोग के सभी सदस्यों की सुरक्षा भी दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तीन सदस्यीय जांच आयोग को छह महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। आयोग का पूरा खर्च तेंलगाना सरकार को उठाने का आदेश दिया गया है।
मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि लोगों को इस मुठभेड़ की हकीकत जानने का अधिकार है। उन्होंने तेलंगाना पुलिस का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी कहा,'हम आपको दोषी नहीं बता रहे हैं। आप जांच का विरोध मत कीजिए, बल्कि इसमें भाग लीजिए।'
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने रोहतगी से कहा, 'अगर आप कहते हैं कि आप उनके (मुठभेड़ में शामिल पुलिसवालों को) खिलाफ क्रिमिनल कोर्ट में मुकदमान करने जा रहे हैं तो हमें कुछ नहीं करना है। लेकिन, अगर आप उन्हें निर्दोष मानते हैं तो लोगों को सचाई जानने का अधिकार है। तथ्य क्या हैं, हम अटकलें नहीं लगा सकते।' चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा , 'हमारा विचार है कि एनकाउंटर की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। जांच होने दीजिए। आपको इसपर क्या आपत्ति है?
इस पर मुकुल रोहतगी ने इस तरह के पुराने मामलों की जांच का हवाला दिया। उन्होंने कहा, 'अतीत में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की नियुक्ति जांच की निगरानी के लिए की थी न कि जांच करने के लिए।' उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा था कि वह तेलंगाना में वेटनरी डॉक्टर से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले के चारों आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने पर विचार कर रहा है।
संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने के लिए शीर्ष अदालत में दो याचिकाएं दायर की गई हैं। पहली याचिका अधिवक्ता जी एस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने दायर की है जबकि दूसरी याचिका अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने दायर की है। मणि और यादव की जनहित याचिका में दावा किया गया है कथित मुठभेड़ फर्जी है और इस घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दायर की जानी चाहिए।
तेलंगाना पुलिस ने शुक्रवार को कहा था कि ये आरोपी पुलिस के साथ हुई फायरिंग में मारे गए। यह घटना सवेरे करीब साढ़े छह बजे हुई जब जांच की प्रक्रिया के दौरान उन्हें वारदात की रीकंस्ट्रक्शन के लिए घटनास्थल पर ले जाया गया था। इन चारों आरोपियों को हैदराबाद के पास एनएच 44 पर गोली मारी गई थी, जहां 27 वर्षीय महिला पशु चिकित्सक का जला हुआ शव मिला था।
मणि और यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि कोई भी निर्दोष महिला से सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में संलिप्त आरोपियों का समर्थन नहीं करेगा लेकिन जांच एजेंसी और पुलिस आयुक्त जैसे उच्चस्तरीय अधिकारियों द्वारा इन आरोपियों को अदालत से सजा मिले बगैर ही कानून अपने हाथ में लेकर मुठभेड़ में मारा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने अपनी याचिका में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल से इस मुठभेड़ की जांच कराने का अनुरोध किया है।