जबलपुर
गुजरात (gujrat) के गोधरा कांड (godhra) के बाद भड़के दंगों के एक मामले के 7 दोषी जबलपुर (jabalpur) पहुंच गए हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के आदेश के तहत ये सभी अब जबलपुर में रहकर समाज सेवा करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 के गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के दंगे के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 15 दोषियों को इस शर्त पर जमानत दी है कि उन्हें मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के दो शहरों-इंदौर (indore) और जबलपुर (jabalpur) में रहकर सामुदायिक (समाज) सेवा करनी होगी. बाकी 10 दोषी पहले ही इंदौर पहुंच चुके हैं. वहां इन दोषियों के साथ हुई बदसुलुकी के बाद इन दोषियों की पहचान गुप्त रखी जा रही है.
गुजरात के गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों के एक मामले के 7 दोषियों ने जबलपुर पहुंच कर सिविल लाइन्स थाने में अपनी आमद दर्ज करा दी है. ये दोषी एक हफ्ते में 6 घंटे समाज सेवा करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 के गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के एक दंगे के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे 15 दोषियों को इस शर्त पर जमानत दी है कि उन्हें मध्य प्रदेश के दो शहरों-इंदौर और जबलपुर में रहकर सामुदायिक (समाज) सेवा करनी होगी. अदालत ने आदेश दिया था कि छह दोषियों का एक समूह इंदौर, जबकि दूसरा जबलपुर में रहकर सामुदायिक सेवा करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों जिलों के विधिक सेवा प्राधिकरणों से यह भी कहा था कि वे इन दोषियों को उचित रोजगार दिलाने में मदद करें.उसके बाद शीर्ष अदालत के आदेश की रोशनी में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण इस नये प्रयोग को अमली जामा पहनाने का खाका तैयार कर रहा है.
गुजरात दंगों के दोषियों को सामुदायिक सेवा की शर्त के साथ जमानत दिये जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की स्थानीय न्यायिक जगत में चर्चा है. इस आदेश का स्वागत भी किया गया.
इस दंगे में 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था. चीफ जस्टिस एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने इस मामले के 15 दोषियों को दो समूहों में बांट दिया था. जमानत की शर्तों के तहत ये दोषी गुजरात से बाहर रहेंगे और उन्हें मध्यप्रदेश के दो शहरों-इन्दौर और जबलपुर में रहकर सामुदायिक सेवा करना होगी. इन सभी दोषियों को नियमित रूप से इन शहरों के संबंधित पुलिस थानों में हाजिरी भी देनी होगी.
शर्त के अनुसार सप्ताह में छह घंटे सामुदायिक सेवापीठ ने अपने आदेश में कहा था कि ‘‘वे दोषी वहां (इंदौर और जबलपुर में) एक साथ नहीं रहेंगे. उन्हें जमानत की शर्त के अनुसार सप्ताह में छह घंटे सामुदायिक सेवा करनी होगी.’’ इन सभी को अपनी सामुदायिक सेवाओं के बारे में संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रमाण पत्र भी सौंपना होगा. पीठ ने मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को तीन महीने बाद अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया जिसमें उसे बताना होगा कि दोषियों ने जमानत की शर्तों का पालन किया है या नहीं?