नई दिल्ली
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने डीरैडिकलाइजेशन सेंटर (कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविर) के मुद्दे पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। येचुरी ने कहा कि कट्टरता रोकने के लिए बनाए जाने वाले इन सेंटर्स के मुद्दे पर केंद्र सरकार को स्पष्ट रूप से अपनी राय रखनी चाहिए। उन्होंने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के बयान को क्रूर बताया। दरअसल, बिपिन रावत ने कहा था कि कश्मीर में कट्टरता कम करने के लिए डीरैडिकलाइजेशन सेंटर बनाने होंगे। सीताराम येचुरी ने कहा, 'हमारी सेंट्रल कमिटी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के इस बयान पर विचार विमर्श किया है। रावत ने कहा है कि कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविर देश में चल रहे हैं। हमने मोदी सरकार से कहा है कि वह इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करे कि वास्तव में ऐसे कैंप चल रहे हैं या नहीं। अगर वे हैं, तो क्या सेना उन्हें चला रही है? यह एक प्रमुख तरीका जिसे दुनिया भर में अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है।' जनरल रावत ने दावा किया था कि कट्टरता कम करने के लिए ऐसे कई सेंटर देशभर में चलाए भी जा रहे हैं। जनरल रावत के इस बयान को क्रूर बताते हुए सीताराम येचुरी ने कहा कि आर्मी कमांडर क्षेत्रीय राजनीति कर रहे हैं। यह अनोखा है। चौंकाने वाला यह है कि ऐसे सेंटर पहले से ही देश में मौजूद हैं।
जनरल रावत ने कहा था- कट्टरता फैलाने वालों की करनी होगी पहचान
बिपिन रावत ने एक कार्यक्रम में कहा था, 'कट्टरवाद को खत्म किया जा सकता है। वे कौन लोग हैं जो लोगों को कट्टर बना रहे हैं। स्कूलों में, विश्वविद्यालयों में, धार्मिक स्थलों में ऐसे लोग हैं। ऐसे लोगों का समूह है जो कट्टरता फैला रहे हैं। आपको सबसे पहले नस पकड़ना होगा। आपको ऐसे लोगों की पहचान कर इन्हें लगातार अलग-थलग करना होगा।'
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उन्होंने आगे कहा था, 'जो लोग पूरी तरह कट्टर बन चुके हैं, उनसे काम शुरू करना होगा। उन्हें कट्टरता के खिलाफ कार्यक्रमों में शामिल करना होगा। जम्मू-कश्मीर में लोगों को कट्टर बनाया गया। 12 साल के लड़के-लड़कियों को भी कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इन लोगों को धीरे-धीरे कट्टरता से दूर किया जा सकता है। इसके लिए डीरैडिकलाइजेशन कैंप बनाना होगा।'
वीके सारस्वत को येचुरी ने दी नसीहत-विस्तार से पढ़ें संविधान
सीताराम येचुरी ने कश्मीर में इंटरनेट सेवा को गैरजरूरी बताने वाले नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत को देश के संविधान को विस्तार से पढ़ने की नसीहत दी। सारस्वत ने अपने एक बयान में कहा था कि कश्मीर में इंटरनेट सेवा बहाल नहीं होने से क्या फर्क पड़ता है। सारस्वत ने विपक्षी दलों के नेताओं की कश्मीर जाने की मंशा पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ऐसे लोग कश्मीर में दिल्ली की सड़कों की तरह फिर से आंदोलन शुरू कराना चाहते हैं। येचुरी ने सारस्वत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये ट्वीट कर कहा, 'यह व्यक्ति (सारस्वत) नीति आयोग के सदस्य हैं। उन्हें खुद को अपडेट करने के लिये भारत का संविधान पढ़ने की जरूरत है और वह प्रस्तावना से इसकी शुरुआत कर सकते हैं।'