सीतामढ़ी से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पंथपाकड़ गांव रामायणकालीन इतिहास का गवाह है। किंवदंतियों के अनुसार, इस स्थान पर स्थित एक पाकड़ के पेड़ के नीचे सीता जी ने एक रात्रि विश्राम किया था। राम-सीता विवाह के बाद अयोध्या जाते समय राजा दशरथ के काफिले ने इसी जगह पर एक रात्रि का विश्राम किया था। यह जनकपुर से बारह कोस (लगभग 38 किलोमीटर) की दूरी पर स्थित है।
आनंद रामायण के सारकांड के पृष्ठ 59 में इसका उल्लेख मिलता है। वाल्मीकि रामायण और तुलसीकृत रामचरितमानस के अनुसार, भगवान राम और भगवान परशुराम के बीच एक कटु संवाद हुआ था और किंवदंतियों के अनुसार, वह संवाद स्थल भी यह पंथपाकड़ गांव ही माना जाता है।
यहां की लोककथाओं के अनुसार, सीता जी ने रात्रि विश्राम के बाद पाकड़ के दातून से अपने दांत साफ किए थे और उस दातून को फेंक दिया था, जिससे एक विशाल पाकड़ वृक्ष का जन्म हुआ। आज यहां पर उस पाकड़ वृक्ष के साथ पाकड़ के सैकड़ों अन्य वृक्ष भी हैं। चूंकि यह पाकड़ का पेड़ अयोध्या-जनकपुर के मार्ग में है, इसलिए कालांतर में इस स्थान को पंथपाकड़ कहा जाने लगा।
पाकड़ के पेड़ों के बीच एक बड़ा तलाब है। कथाओं के अनुसार इसी तालाब में सीता जी ने स्नान भी किया था। इस जगह पर आज भी इस क्षेत्र के बड़े-बड़े विवादों का निपटारा किया जाता है। लोगों को विश्वास है कि इस स्थल पर किसी भी विवाद का सहज और सत्य निपटारा हो जाता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि यहां के पाकड़ पेड़ के पत्तों को पीसकर पिला देने से गर्भवती महिलाओं को प्रसव पीड़ा से मुक्ति मिलती है और सहज ढंग से प्रसव हो जाता है।
यहां के पाकड़ के पेड़ों में एक विचित्र बात यह है कि पतझड़ में भी सभी पेड़ के पत्ते एक साथ नहीं गिरते हैं। यहां जानकी जी के विशाल पिण्ड के साथ ही राम-जानकी का भव्य मंदिर भी है। यहां साल भर भगवान की पूजा एवं विवाह हेतु लड़का-लड़की देखने का कार्यक्रम चलता रहता है। सीतामढ़ी-जनकपुर पथ पर होने के कारण यहां साल भर नेपाल एवं देश के विभिन्न हिस्सों से तीर्थयात्रियों का आना-जाना लगा रहता है।
कैसे पहुंचें
यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन सीतामढ़ी है, जो मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सीतामढ़ी में देश के कई शहरों से लक्जरी बसों द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। नजदीकी हवाई अड्डा पटना है, जो यहां से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।