कानपुर
चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि द्वारा विकसित गेहूं की नई प्रजाति के-1317 का मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बम्पर उत्पादन हुआ है। 2018 में विकसित यह प्रजाति 2019 में किसानों के लिए जारी की गई थी। अभी यह किसानों को बीज उत्पादन के लिए दी जा रही है। इस वर्ष यानी 2020 की रबी फसल में नई प्रजाति की खेती बड़े पैमाने पर करने की रणनीति बनी है। इसके तहत छह प्रदेशों में इस बार बीज के लिए बुआई की गई है।
मध्य प्रदेश के देवास और महाराष्ट्र के सतारा के किसानों ने सीएसए विवि के वैज्ञानिकों से अपने अनुभव साझा किए हैं। उनके यहां 60 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक इसका उत्पादन हुआ है। सीएसए फार्म में भी यह फसल लहलहा रही। नई प्रजाति सूखाग्रस्त, कम पानी वाले इलाकों और बुंदलेखंड के लिए वरदान साबित होगी। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के उन जिलों में भी इसका उत्पादन अच्छा रहा है, जहां पानी कम है और किसान मुश्किल से एक पानी दे पाते हैं। नई प्रजाति रोग रहित और हाई प्रोटीन व मिनरल्स से भरपूर है। इसमें पोषकता अन्य प्रजातियों की अपेक्षा अधिक है। इसकी फसल को किसान जितना पानी देंगे उतना ही उत्पादन बढ़ेगा।
एक पानी, दो पानी और तीन पानी देकर अलग-अलग कृषि जलवायु क्षेत्रों में नई प्रजाति बोई गई है। कमाल का उत्पादन मिल रहा है। फसल में किसी तरह की बीमारी नहीं लगी। दाने अतिरिक्त चमकदार हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, उड़ीसा, महाराष्ट्र से किसानों की मांग आ रही है इस बार भरपूर बीज उपलब्ध होगा।
– डॉ. सीएल मौर्या, निदेशक, बीज, सीएसए विवि