नई दिल्ली
दिल्ली-एनसीआर समेत पूरे देश में ट्रक ड्राइवरों को किन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है और किस तरह के मानसिक और शारीरिक दबाव और तनाव का उन्हें सामना करना पड़ता है, इस बारे में की गई एक विस्तृत स्टडी की रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की गई। रोड सेफ्टी और परिवहन के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था सेव लाइफ फाउंडेशन के द्वारा की गई इस स्टडी में कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं हैं।
स्टडी से पता चला है कि ट्रक ड्राइवरों को सालाना 47,852 करोड़ रुपए की रिश्वत देनी पड़ती है, ताकि वे ट्रक लेकर आगे जा सकें। इनमें स्टेट हाइवे अथॉरिटीज के लोग, ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ के लोग और टैक्स कलेक्ट करने वाली एजेंसियों के लोगों के अलावा लोकल गुंडे और अन्य आपरधिक तत्व भी शामिल हैं। यह रकम आमतौर पर ट्रक के मालिक या ट्रक के जरिए सामान भिजवाने वाले को वहन करनी पड़ती है और यह भ्रष्टाचार का एक बड़ा जरिया बन चुका है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रक ड्राइवरों को दिन में तकरीबन 12 घंटे ट्रक चलाना पड़ता है और करीब 50 फीसदी ड्राइवर लगातार वाहन चलाते रहते हैं, फिर चाहे वे थक जाएं या उन्हें नींद आ रही हो। सर्वे में शामिल हर 5 में से एक ट्रक ड्राइवर ने माना कि ट्रक चलाने के दौरान नींद से बचने के लिए वे ड्रग्स का सेवन करते हैं। कोलकाता में इस तरह के ड्राइवरों की संख्या सबसे अधिक मिली। इसके बाद कानपुर और दिल्ली-एनसीआर के ड्राइवरों का नंबर था।