मुंबई
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के लिए बहुत कुछ बदल गया। पार्टी ने चुनाव के बाद ना सिर्फ अपना अजेंडा बदला बल्कि उसने अब अपना काम करने का तरीका भी बदल दिया है। पहली बार ठाकरे परिवार से कोई चुनाव में उतरा। अब शिवसेना कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर सरकार बनाने के प्रयास भी कर रही है।
अब वे दिन भी चले गए जब लालकृष्ण आडवाणी, शरद पवार, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, प्रमोद महाजन, विलासराव देशमुख और रजनीकांत जैसी शख्सियतें 'मातोश्री' जाकर बाला साहब ठाकरे से मुलाकात किया करती थीं। उस जमाने में 'मातोश्री' राजनीति का पावर सेंटर हुआ करता था। 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रणव मुखर्जी ने भी शरद पवार के साथ 'मातोश्री' जाकर खुद के लिए समर्थन मांगा था।
पिछले हफ्ते बीजेपी और एनडीए से रिश्ते तोड़ने के बाद परिस्थितियां बदलती नजर आ रही हैं। शिवसैनिक को मुख्यमंत्री बनाने के प्रयासों में लगी शिवसेना अपने धुर विरोधियों कांग्रेस और एनसीपी से बातचीत कर रही है। सीएम की कुर्सी की खातिर शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे खुद मातोश्री से बाहर आए और उन्होंने होटेल में जाकर कांग्रेस नेताओं से मुलाकात की।
सोमवार को उद्धव ठाकरे ने ने बांद्रा के होटेल ताज लैंड्स में शरद पवार से मुलाकात करके इस नए गठबंधन की सरकार की संभावनाओं पर चर्चा की। शिवसेना की राजनीति के बारे में समझ रखने वाले कई लोगों का कहना है कि शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में भी यह कभी नहीं हुआ करता था कि उद्धव 'मातोश्री' से बाहर जाकर किसी से मिलें।
यही नहीं शिवसेना के दूत अब दिल्ली जाकर भी अहमद पटेल या अमित शाह जैसे नेताओं से मुलाकात करने लगे हैं। शिवसेना के बारे में लिखने वाले एक पत्रकार ने बताया कि दादर (शिवसेना ऑफिस से) से दिल्ली तक ठाकरे अब बहुत आगे आ चुके हैं। बुधवार को भी उद्धव ठाकरे ने अहमद पटेल और अशोक चव्हाण सरीखे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं से होटेल ट्राइडेंट में मुलाकात की। इसके अलावा नरीमन पॉइंट स्थित वाई बी चव्हाण सेंटर और शरद पवार का घर राजनीतिक हलचल का केंद्र बना हुआ है।
कांग्रेस के 44 विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी फोन पर बातचीत की। बता दें कि लंबे समय तक खुद बाला साहब ठाकरे और शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' ने सोनिया गांधी के इटली मूल के होने पर लगातार हमले किए हैं। इस सबके बारे में बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'शिवसेना के जहाज ने कम से कम जमीन तो छू ही ली है। उसने यह तय किया है कि अगर सीएम के पद के लिए उसे एनसीपी-कांग्रेस के दरवाजे पर भी खड़ा होना पड़े तो वह जाएगी।' उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान अमित शाह दो बार 'मातोश्री' गए थे। पवार साहब और अहमद पटेल को अगर शिवसेना का समर्थन भी चाहिए होगा तो वह कभी मातोश्री नहीं जाएंगे।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा, 'पांच साल सरकार चलाने के दौरान संतुलन बनाए रखने के लिए देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे से लगातार मुलाकात की लेकिन ठाकरे परिवार को अब अपने नए सहयोगियों के साथ प्रोटोकॉल का ख्याल रखना होगा। अब उन्हें असली खेल समझ आएगा।'