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सऊदी तेल संयंत्र हमला: US के आरोप पर ईरान- जंग को तैयार

रियाद
सऊदी अरब में दुनिया के सबसे बड़े ऑइल प्लांट पर ड्रोन हमले के बाद एक तरफ जहां उसकी उत्पादन क्षमता आधी रह गई है, वहीं खाड़ी में तनाव भी बढ़ गया है। इन हमलों की जिम्मेदारी यमन स्थित शिया हूती विद्रोहियों ने ली है, जबकि सऊदी के करीबी सहयोगी अमेरिका ने इसके लिए सीधे-सीधे ईरान को जिम्मेदार ठहराया है। दूसरी तरफ ईरानी विदेश मंत्री ने अमेरिका के आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज किया है। ईरानी सेना के तो एक सीनियर कमांडर ने यहां तक कहा है कि उनका देश अमेरिका के खिलाफ 'पूर्ण युद्ध' के लिए तैयार है। खाड़ी के मौजूदा हालात का भारत पर भी सीधा असर पड़ सकता है क्योंकि ईरान से तेल आयात पर अमेरिकी प्रतिबंध के बाद नई दिल्ली अपनी तेल जरूरतों के लिए बहुत हद तक सऊदी अरब पर निर्भर है। हालांकि, सऊदी अरब ने तेल सप्लाई बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास शुरू कर दिए हैं।

अमेरिका ने ईरान को लपेटा, बताया हमले के लिए जिम्मेदारसऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको के संयंत्र पर शनिवार को ड्रोन हमलों के बाद अमेरिका ने इसके लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है। हमलों की जिम्मेदारी यमन के हूती विद्रोहियों ने ली है, लेकिन अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि हमले यमन की तरफ से हुए हैं।

अमेरिकी आरोप निराधार, हमारी छवि खराब करने की कोशिश: ईरान
ड्रोन हमलों के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराए जाने के अमेरिकी विदेश मंत्री के बयान को खारिज किया है। ईरान ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह तेहरान के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराने के लिए यह झूठ बोल रहा है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मूसावी के हवाले से एक बयान में कहा गया, 'ऐसे निराधार और बिना सोचे-समझे लगाए गए आरोप एवं टिप्पणियां निरर्थक और समझ से परे हैं।'

मूसावी ने कहा कि सऊदी के पूर्वी प्रांत के अब्कैक और खुरैस पर हुए हमलों को लेकर लगाए जा रहे आरोप, ईरान के खिलाफ कार्रवाई को उचित ठहराने के लिए हैं। उन्होंने कहा, 'ऐसी टिप्पणियां… किसी देश की छवि खराब करने के लिए खुफिया संगठनों का कुचक्र रचने और भविष्य के कदमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए की गईं ज्यादा लगती हैं।' उन्होंने कहा, 'अमेरिकियों की नीति 'अधिकतम दबाव' बनाने की है और विफलताओं के कारण वे 'अधिक से अधिक झूठ' बोलने लगे हैं। धुर विरोधी ईरान और अमेरिका में पिछले साल मई से तनाव बढ़ा हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए एक सौदे से अमेरिका को बाहर कर लिया था।

 

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