रायपुर
माहेश्वरी भवन (वीवाय हास्पिटल के पास) कमल विहार डूंडा में कथावाचक गौरव कृष्ण गोस्वामी महाराज के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा बुधवार को प्रारंभ हुई। इससे पूर्व सुबह भागवत पोथी की भव्य शोभायात्रा श्री राधे-राधे के जयकारे के साथ निकली।
कथावाचक गौरव कृष्ण गोस्वामी ने प्रथम दिवस श्रीमद्भागवत महात्म्य कथा का महत्व बताते हुए कहा कि 18 पुराणों में सबसे अंतिम पुराण श्रीमद्भागवत कथा है। इसमें 18 हजार श्लोक हैं। श्रीमद्भागत कथा व बांकेबिहारी में कोई अंतर नहीं हैं। जिस प्रकार बांकेबिहारी की प्रतिमा तो सांवरे हैं लेकिन उसकी चमक व तेज के पीछे छिपी हुई राधारानी। ठीक उसी प्रकार भागवत कथा के अक्षर जरूर काले लेकिन कागज बिल्कुल सफेद हैं। अनहद आनंद की अनुभूति यदि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से हो गई तो समझो राधारानी के दर्शन हो गए मतलब साक्षात भगवान श्रीकृष्ण आपको मिल गए। भागवत का श्रवण करना ही बहुत बड़े पुण्य का काम है। वक्ता जब झूमकर गाए और श्रोता झूमकर सुने तभी कथा का आनंद है। मन भी वहां हों जहां कान हो। एक-एक बात हमारे ह्दय में उतरनी चाहिए। भाव से सुनो तभी कथा सार्थक है।