नई दिल्ली
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई इलाकों में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच होम मिनिस्टर अमित शाह ने विपक्षी दलों पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि पूरा विपक्ष ही लोगों के बीच भ्रम फैलाने में जुटा है। इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर से समझाने की कोशिश की है कि नागरिकता कानून का मतलब अल्पसंख्यक वर्ग के किसी भी व्यक्ति से सिटिजनशिप वापस लेना नहीं है। बिल में ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है। इस बीच, दिल्ली में जामिया यूनिवर्सिटी के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आग सीलमपुर इलाके तक जा पहुंची है।
शाह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ था, जिसका एक हिस्सा एक-दूसरे देश के अल्पसंख्यकों की रक्षा करना था। इस पर बीते 70 सालों से काम नहीं किया गया क्योंकि आप (कांग्रेस) वोट बैंक बनाना चाहते थे। हमारी सरकार ने इस पैक्ट को सही ढंग से लागू किया है और लाखों लोगों को नागरिकता देने का फैसला किया है, जो बीते कई सालों से इंतजार में थे।
राजनाथ सिंह बोले, नफरत नहीं सिखाती भारतीय संस्कृति
गृह मंत्री के अलावा अमेरिका में एक कार्यक्रम में मौजूद डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने भी इस मुद्दे पर भ्रम दूर करने की कोशिश करते हुए कहा कि यह ऐक्ट मुस्लिमों के खिलाफ नहीं है। राजनाथ सिंह ने कहा, 'हमारी संस्कृति किसी से नफरत करना नहीं सिखाती।' नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता का प्रावधान है।
31 दिसंबर, 2014 तक आए लोगों को मिलेगी नागरिकता
धार्मिक उत्पीड़न के चलते 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। मंत्री स्तरीय वार्ता के लिए अमेरिका पहुंचे राजनाथ सिंह ने भारतीय समुदाय के एक कार्यक्रम में यह बात कही।