भागलपुर
भागलपुर एवं इसके आसपास के युवा अब दांपत्य की डोर में बंधन से पहले खुद को बेफिक्र करना चाहते हैं। इसके लिए वे जवाहर लाल नेहरू मेडिक कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जेएलएनएमसीएच) स्थित एआरटी (एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी) सेंटर में बेफिक्री की कुंडली (एचआईवी जांच) बनवा रहे हैं। पूर्वी बिहार से जेएलएनएमसीएच में आ रहे ये युवा न केवल अपनी एचआईवी (एड्स) जांच करा रहे हैं बल्कि काउंसिलिंग के जरिये एड्स को लेकर मन में व्याप्त शंका का निवारण भी कर रहे हैं।
एआरटी सेंटर पर आने वाला हर शख्स एड्स का मरीज नहीं होता है। यहां एड्स की जांच कराने वालों में एक बड़ा तबका ऐसा भी है जो एड्स को लेकर जागरूक है और अपने खुद को सुरक्षित रखना चाहता है। एआरटी सेंटर के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. विजय कृष्ण सिंह बताते हैं कि एड्स की जांच कराने वाले युवक-युवतियों में हर सप्ताह चार से पांच युवा ऐसे भी होते हैं जिनकी हाल में शादी होनी है। इसके अलावा हर सप्ताह औसतन दो से तीन शादी-शुदा जोड़े भी एड्स की जांच कराने के लिए आ रहे हैं जो बच्चे की प्लानिंग करने की योजना बनाना चाहते हैं। ताकि इनके भविष्य यानी बच्चा एड्स से सुरक्षित रहे।
शादीशुदा या फिर जल्द ही परिणय सूत्र में बंधने जा रहे युवक-युवतियां न केवल एचआईवी जांच कर खुद को आश्वस्त कर रहे हैं बल्कि मायागंज के पीपीसीटी (प्रिवेंशन ऑफ पैरेंट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन) सेंटर पर काउंसिलिंग के लिए आ रहे हैं। विश्वास केयर एंड सपोर्ट सेंटर की प्रोजेक्ट कॉर्डिनेटर पूजा कुमारी भी कहती हैं कि उनके पास काउंसिलिंग के लिए आने वाले ज्यादा युवक-युवती अलग-अलग या फिर साथ-साथ आते हैं। वे एड्स को लेकर इनके मन में व्याप्त हर झिझक को दूर करते हैं और खुद को आश्वस्त करते हैं कि इन्हें एड्स नहीं है। न ही भविष्य में इनके बच्चों को होगा। पूजा बताती हैं कि कई जोड़े या फिर युवक-युवतियों को तो काउंसिलिंग के बाद उन्हें एचआईवी जांच कराने की भी सलाह दी जाती है।