विश्वविद्यालय में नए टेक्नॉलोजी को बढ़ावा मिले: राज्यपाल

पटना 
राज्यपाल सह कुलाधिपति फागू चौहान ने कहा कि विश्वविद्यालय में नए टेक्नॉलोजी को हमेशा बढ़ावा मिले ताकि छात्र-छात्राओं को इसका लाभ मिल सके। विज्ञान में हर दिन नए-नए खोज हो रहे हैं और इस खोज से छात्रों व शिक्षकों को अवगत होना चाहिए। विज्ञान का शोध ऐसा हो कि जो समाज के निचले तबके तक पहुंचे। वैज्ञनिक शोध मानव कल्याण के लिए हो। वैज्ञानिक शोध को नए आयाम दें ताकि समस्त प्राणियों का विकास हो।  

गुरुवार को राजभवन में राज्यस्तरीय विज्ञान अन्वेषण प्रदर्शनी सह व्याख्यानमाला का उद्घाटन करते हुए श्री चौहान ने कहा कि मानव नित्य नए शोध के लिए तत्पर है। आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। हमें हर दिन नए-नए शोध करना है ताकि हमारा संतुलित विकास हो। विज्ञान दिवस के अवसर पर राज्य के विश्वविद्यालय में विज्ञान प्रदर्शनी हो रहा है जो गौरव की बात है। विज्ञान दुनियां के हर कोने में पहुंच चुका है।  डा. सी. वी. रमण देश के गौरव थे। उनका वैज्ञानिक शोध की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक शोध को हमेशा बढ़ावा दें व बच्चों को शोध के लिए प्रेरित करें। वैज्ञानिक चिंतन को हमेशा बढ़ावा मिले। छात्रों को वैज्ञानिक शोध की जानकारी दी जाए। विज्ञान के विकास के लिए हर विश्वविद्यालय में ऐसा आयोजन आवश्यक है। 

शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कहा कि बिहार में विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की अपार संभावनाएं हैं। काफेज में प्रयोगशाला व पुस्तकालय के लिए फंड दिए जा रहे हैं। राज्य सरकार व राजभवन मिलकर उच्च शिक्षा के लिए कई सुधारात्मक कार्यक्रम चलाए हैं। काफेजों में छात्रों का प्रतिशत बढ़ा है और नकल पर रोक लगी है। सरकार उच्च शिक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठा रही है। विश्वविद्यालय में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया जारी है। इस वर्ष शिक्षा के लिए सबसे ज्यादा बजट मिला है। बिहार में शिक्षा के हालात बदले हैं। बिहार पिछड़ा राज्य जरुर है लेकिन यहां आगे बढ़ने की ललक है। ऐसे प्रदर्शनी से बच्चे के हासले बढेंगे और सरकार वैज्ञानिक  बच्चों को सहायता करने को तैयार है। 

समारोह में राजभवन के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा,प्रो. ए. के. बख्शी, प्रो. ए. के.सक्सेना, मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति रंजीत कुमार वर्मा, उपकुलपति प्रो. कुसुम कुमारी, पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्ोरो. रासबिहारी सिंह, सहित अनेक शिक्षाविद् शामिल थे। प्रदर्शनी का आयोजन मुंगेर विश्वविद्यालय ने किया था।

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