श्योपुर
सरकारी अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलने की वजह से बीजेपी विधायक सीताराम आदिवासी (BJP MLA Sitaram Adivasi) की बेटी का प्रसव नहीं हो सका. जब विधायक ने दूसरे शहर के अस्पताल (Hospital) के लिए अपनी बेटी को रेफर करवाया तो तीन घंटे तक एंबुलेंस (Ambulance) भी उपलब्ध नहीं हो सकी. ऐसे में विधायक की बेटी दिन भर दर्द से कराहती रही. जबकि अधिकारियों से बात करने पर भी सुविधाएं नहीं मिली तो बेबस बेटी का विधायक पिता अस्पताल के बाहर खड़ी अपनी गाड़ी में बैठा रहा, लेकिन देर रात 10 बजे तक उनकी बेटी का प्रसव नहीं हो सका.
मामला शहर के जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड का है, जहां जिले की विजयपुर विधानसभा से बीजेपी के विधायक सीताराम आदिवासी की बेटी धोड़ीबाई आदिवासी को प्रसव पीड़ा होने पर सोमवार को सुबह 11 बजे प्रसव के लिए उसके ससुराली जन और विधायक पिता लेकर अस्पताल पहुंचे. इस दौरान विधायक ने अधिकारियों से कह सुनकर अपनी गर्भवती बेटी की सोनोग्राफी व अन्य जांचें तो कर वालीं, लेकिन प्रसव ऑपरेशन से होना था और अस्पताल के ऑपरेशन करने वाले डॉक्टरों से लेकर अन्य डॉक्टर विजयपुर में आयोजित किए गए नशबंदी शिविर में गए हुए थे. इस वजह से विधायक की बेटी का प्रसव नहीं हो सका. ऐसे हालातों में विधायक ने डॉक्टरों से कह सुनकर अपनी बेटी को शिवपुरी जिले के अस्पताल के लिए रेफर तो करवा लिया, लेकिन तीन घंटे से भी ज्यादा समय तक इंतजार के बाद एंबुलेंस नहीं पहुंची सकी. जबकि प्रसव रास्ते में भी हो सकता था और इस वजह से विधायक दूसरी गाड़ियों से अपनी बेटी को शिवपुरी नहीं ले जा सके और अपनी बेटी को मेटरनिटी वार्ड में भर्ती करवा कर दिन भर गाड़ी में बैठे रहे और डॉक्टरों के लौटने का इंतजार करते रहे. हालांकि देर रात 10 बजे तक डॉक्टर अस्पताल में नहीं पहुंचे. इस वजह से विधायक की बेटी का ऑपरेशन नहीं हो सका.
दर्द से कराह रही विधायक की बेटी अपनी मां के साथ अस्पताल से अंदर बाहर आती-जाती रही और बेबस प्रसूता का विधायक पिता अपनी गाड़ी में बैठकर अस्पताल के हालातों पर बेबस दिखाई दिए. हैरानी की बात है कि विधायक की बेटी का जिले के जिला अस्पताल में प्रसव नहीं हो सका, तो आप समझ ही सकते हैं कि अन्य प्रसूताओं और मरीजों की इस अस्पताल में क्या दुर्दशा होती होगी.
खुद की बेटी का प्रसव नहीं करवा सके बीजेपी के विधायक सीताराम आदिवासी से जब मीडिया ने बात की तो वह जिला अस्पताल के बिगड़े हुए हालातों का रोना रोते हुए बोले कि यहां कोई व्यवस्था नहीं है. अस्पताल में न डॉक्टर हैं और नहीं कोई और व्यवस्था, जिससे मरीज परेशान हो रहे हैं.
जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड के बिगड़े हुए हालातों की वजह से शहर की सैकड़ों प्रसूताएं दिन भर धक्के खा-खाकर डॉक्टरों से उपचार और परामर्श ले पाती हैं. ऐसे में विधायक की बेटी का प्रसव नहीं हो पाने को लेकर जब जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. आरवी गोयल से बात की तो उन्होंने कहा कि व्यवस्थाएं सभी के लिए बराबर हैं चाहे कोई विधायक हो या सामान्य मरीज.
जिला अस्पताल के हालात इतने खराब हैं कि यहां आए दिन मरीज और प्रसूताएं उपचार के अभाव में दम तोड़ देते हैं. गंभीर मरीजों को उपचार मुहैया कराने की बजाए जिला अस्पताल प्रबंधन उन्हें दूसरे शहरों के लिए रेफर कर देता है, जिससे रास्ते में ही उनकी मौत हो जाती है. शहर के मरीजों को ओपीडी में डॉक्टर नहीं बैठने की वजह से उपचार नहीं मिल पाता है और तो और एक विधायक की बेटी का प्रसव भी इस अस्पताल में नहीं हो पाता है, तो आप समझ ही सकते हैं कि इस अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं अब भगवान भरोसे ही चल रही है. नशबंदी शिविर आयोजित करना जितना जरूरी है उससे कहीं ज्यादा जरूरत इन प्रसूताओं को डॉक्टरों की होती है, जिन्हें समय पर डॉक्टर की मदद नहीं मिल पाने की वजह से जान से भी हाथ धोना पड़ सकता है. अब देखना होगा कि प्रदेश के आला अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्री इस पर क्या एक्शन लेंगे.