रायपुर
छत्तीसगढ़ में उपलब्ध भरपूर बिजली का लाभ प्रदेश के विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं तक गुणवत्तापूर्ण ढंग से निर्बाध आपूर्ति हो सके इसके लिये पारेषण प्रणाली को सुदृढ़ करने का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है, फलस्वरूप राष्ट्रीय स्तर पर विद्युत पारेषण के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की लम्बी छलांग दर्ज हुई है। छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा अतिउच्चदाब उपकेन्द्रों एवं उनसे सम्बद्ध लाईनों का विस्तार प्रदेश के सुदूर ग्रामीण एवं वनांचलों तक किया गया, जिससे प्रदेश की पारेषण क्षमता 8169 एम.व्ही.ए. तक जा पहुंची है। पारेषण क्षमता में राज्य बनने के बाद 538.89 प्रतिशत रिकार्डतोड़ वृद्धि हुई है। राज्य गठन के समय प्रदेश की विद्युत पारेषण क्षमता केवल 1257 एम.व्ही.ए. थी।
पारेषण प्रणाली में आई सुदृढ़ता और पारेषण क्षमता में हुई रिकार्डतोड़ वृद्धि का श्रेय पॉवर कंपनी के चेयरमेन शैलेन्द्र शुक्ला ने ट्रांसमिशन कंपनी की प्रबंध निदेशक तृप्ति सिन्हा सहित उनकी टीम में शामिल अधिकारियों/कर्मचारियों को दी। उन्होंने कहा कि राज्य शासन की रीति-नीति के अनरूप पॉवर फार आॅल के लक्ष्य को अर्जित करने कंपनी सर्वोच्च प्राथमिकता से ग्रामीण अंचलों के विद्युत विषयक कार्यों को पूर्ण कर रही है। गांव गांव, घर-घर तक बिजली पहुंचाने की कंपनी की कामयाब कोशिश का ही परिणाम है कि प्रदेश में प्रति उपभोक्ता विद्युत खपत में भी अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज हुई है और विद्युत की अधिकतम मांग 1334 मेगावॉट से बढक? 4760 मेगावॉट तक पहुंची है, जो कि विद्युत की अधिकतम मॉग में हुई 256.82 प्रतिशत वृद्धि को दशार्ता है।
प्रदेश में विद्युत की बढ़ती हुई मांग का आंकलन कर पारेषण प्रणाली को मजबूत बनाने का कार्य ट्रांसमिशन कंपनी ने सुनियोजित कार्ययोजना से किया, जिससे अतिउच्चदाब उपकेन्द्रों की संख्या 120 हो गई है, जबकि राज्य गठन के समय इनकी संख्या 27 थी। नये उपकेन्द्रों का निर्माण आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में प्राथमिकता के साथ किया गया जिससे बस्तर, सरगुजा, क्षेत्रों में निवासरत आदिवासी परिवारों के जीवन में विद्युत से विकास का एक नया इतिहास लिखा जा रहा है। नये उपकेन्द्रों के निर्माण के साथ साथ इनसे सम्बद्ध अतिउच्चदा लाईनों का निर्माण-विस्तार भी किया गया जिससे प्रदेश में ई.एच.टी. लाईनों की लंबाई 12610 सर्किट किलोमीटर हो गई है।