भोपाल
प्रदेश में वन क्षेत्र से निकलने वाली इमारती और अन्य तरह की लकड़ियों की नीलामी को लेकर होने वाली शिकायतों पर नियंत्रण के लिए वन विभाग अब इसकी ई-आक्शन द्वारा नीलामी करेगा। इसका असर यह होगा कि जिलों में वन परिक्षेत्रों से जो लकड़िÞयां निकलेंगी उसे जिलों में पदस्थ अधिकारी औने-पौने दाम पर नहीं बेच सकेंगे। इसमें किसी अधिकारी या ठेकेदार की मोनोपोली नहीं चलेगी।
सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। वन विभाग द्वारा राष्ट्रीयकृत और अराष्ट्रीयकृत इमारती लकड़ी की बोली लगाकर की जाने वाली नीलामी को डिजिटल इंडिया प्रोग्राम से जोड़ने की कवायद पिछले कई सालों से कर रहा था। इसके लिए 2017 में वन अधिकारियों की ओर से यह आदेश भी जारी किए गए थे कि साइबर ट्रेजरी और इलेक्ट्रानिक टेंडरिंग प्रणाली का उपयोग कर ई आक्शन किया जाए। इसके लिए टिमरनी डिपो से ई आक्शन की प्रक्रिया की शुुरुआत भी हुई लेकिन अधिकारियों ने इस प्रक्रिया को फेल करा दिया क्योंकि इससे उनको होने वाले फायदों पर रोक लग गई। अब सरकार ने फिर तय किया है कि ई आक्शन से ही इमारती लकड़ी को नीलाम किया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि इस प्रक्रिया में देश भर के लोग शामिल हो सकेंगे और पारदर्शिता होने से राजस्व में वृद्धि का मौका बढ़ेगा। राज्य शासन की मंजूरी मिलने के बाद इस व्यवस्था को एक अप्रेल से लागू किया जा सकता है।
वन क्षेत्रों की इमारती लकड़ी पूरे प्रदेश में हर साल करोड़ों में नीलाम होती है। इसका व्यवस्थापन जिलों में होने से विरोध और शिकायत की स्थिति इसी कारण बनती रही है। इसलिए ई आक्शन का आप्शन विभाग अपनाने को तैयार है। ई आक्शन के लिए पूर्व में जो व्यवस्था तय की गई थी, उसमें कहा गया था कि इलेक्ट्रानिक्स विकास निगम द्वारा विकसित पोर्टल का उपयोग इसके लिए किया जाएगा।
इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी शाखा के समन्वय से काम कराए जाने की नीति तय की गई थी लेकिन अधिकारियों के विरोध के चलते तब इसे अमली जामा नहीं पहनाया जा सका था। इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों को ट्रेंड करने की भी बात सामने आई थी।