अयोध्या
विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद वर्ष 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या एक्ट के तहत विवादित स्थल सहित 70.81 एकड़ क्षेत्र का अधिग्रहण कर लिया। 26 सालों से अधिग्रहण की जद में आए लगभग आधे दर्जन मंदिरों के साथ ही परिसर से सटे रामकोट और विभीषण कुंड वॉर्ड के लगभग 400 परिवार सुप्रीम कोर्ट से आने वाले फैसले से आजादी की आस लगाए बैठे हैं।
अधिग्रहण और आतंकी हमले के बाद से इन क्षेत्रों के सैकड़ों परिवारों में सुरक्षा बंदिशों से निजात पाने की छटपटाहट बढ़ गई है। संतों और नागरिकों की जुबां पर बस एक ही आवाज है कि अब रामलला चाहेंगे तो जल्द बेरोकटोक हम भी चहलकदमी कर सकेंगे। रामकोट वॉर्ड के पार्षद रमेश दास भी सुरक्षा पाबंदियों से आहत हैं। उनका कहना है कि क्षेत्र में तैनात पुलिसकर्मी अक्सर स्थानीय नागरिकों से अभद्र व्यवहार करते हैं।
इन मंदिरों में सालों से नहीं हो रही है पूजा
6 दिसंबर 92 के बाद भी रामलला की पूजा अर्चना निर्बाध रूप हो रही है, लेकिन अधिग्रहण की जद में आए शेषावतार, साक्षी गोपाल, सीता रसोई, श्रीराम जन्म स्थान, मानस भवन और विश्वामित्र आश्रम आदि मंदिरों में पूजा अर्चना ठप है। ये मंदिर जीर्ण -शीर्ण अवस्था में पहुंच चुके हैं। विवादित क्षेत्र से सटे रंगमहल मंदिर के महंत रामशरण दास कहते हैं कि इन मंदिरों के भी दिन बहुरने का समय आ गया है।
आतंकी हमले के बाद से सुरक्षा बंदिशों से कराह रहा रामकोट
5 जुलाई, 2005 को रामलला के बाहरी परिसर में हुए आतंकी हमले के बाद से अधिग्रहित क्षेत्र सहित आसपास के इलाकों में कड़े सुरक्षा बंदोबस्त कर दिए गए। यहां के निवासी सुरक्षा पाबंदी से त्रस्त हो चुके हैं। आएदिन होने वाली टोका -टाकी और पूछताछ से परेशान हो चुके हैं। कन्हैया मौर्या जैसे कई परिवारों के घर के सामने लोहे की बैरिकेडिंग लगी है। वह बताते हैं कि रिश्तेदार भी अब मिलने नही आते। कोई भी उत्सव घर पर होता है तो इजाजत लेनी पड़ती है। बिना परिचय पत्र के अपने घर तक पहुंचना नामुमकिन है। शाम होते ही पूरे मोहल्ले में कर्फ्यू जैसा माहौल हो जाता है। राम कचहरी चारों धाम मंदिर के महंत शशिकांत दास कहते हैं कि मंदिर के सामने का पूरा हिस्सा प्रशासन ने चेक पोस्ट बना दिया है। श्रद्धालु मंदिर के अंदर नहीं आ पाते हैं जिससे मंदिर का संचालन बहुत मुश्किल से हो पा रहा है।