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राम लला विराजमान का पूरी जमीन पर दावा, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने की देशहित में फैसले की मांग: अयोध्या केस

 
नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की सुनवाई के बाद तमाम पक्षकारों ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ दायर कर दी है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड शाहिद रिजवी ने बताया कि उनकी ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट देशहित में जो बेहतर लगता है, वह फैसला ले सकता है। हालांकि सभी मुस्लिम पक्षकारों ने सील बंद लिफाफे में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ दाखिल की है। अयोध्या मामले में 40 दिन की सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था और सभी पक्षकारों से तीन दिनों के भीतर मोल्डिंग ऑफ रिलीफ लिखित में पेश करने को कहा था। इसके तहत पक्षकारों को बताना था कि क्या वह अपनी गुहार में कुछ बदलाव कर सकते हैं या विकल्प दे सकते हैं?
 
सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने लगातार सुप्रीम कोर्ट में दमदार तरीके से दलील पेश की और आखिरी दिन तक मस्जिद के लिए जोरदार पैरवी की। हालांकि उसी दिन कोर्ट के बाहर एक बड़ा यू टर्न दिखा, जब सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से मध्यस्थता पैनल को समझौता प्रस्ताव देने की बात सामने आई। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड शाहिद रिजवी ने इस बात की पुष्टि की कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने समझौते का प्रस्ताव दिया है और शर्तों के साथ जमीन पर दावा छोड़ने को तैयार है। हालांकि अन्य मुस्लिम पक्षकारों ने बयान जारी कर इससे असहमति जता दी। अब तमाम पक्षकारों की ओर से मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पेश की गई है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड बोला, देशहित में जो अच्छा हो वो फैसला ले सुप्रीम कोर्ट
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील एडवोकेट ऑन रेकॉर्ड शाहिद रिजवी ने बताया कि उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद-142 के तहत असीम अधिकार मिले हुए हैं। पहले भी वह तमाम मामले में विशेषाधिकार का इस्तेमाल करती रही है। देश हित में जो बेहतर लगे, उस हिसाब से सुप्रीम कोर्ट फैसला करे और जो उचित लगे उस हिसाब से हमारे गुहार में बदलाव कर सकती है।

शिया वक्फ बोर्ड ने भी की दावा छोड़ने की बात
सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल मोल्डिंग ऑफ रिलीफ में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद-142 के तहत अपने अधिकार का इस्तेमाल कर देशहित में फैसला ले। वहीं शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बताया कि उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रख दिया गया है। एक तिहाई जो हिस्सा मुस्लिम पक्षकार को दिया गया था, हम उस पर दावा नहीं करते हम उसे छोड़ रहे हैं।
 

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