छत्तीसगढ़

राज्य में 23 लोक कलाएं एवं 17 भाषा व बोलियां प्रचलन में

रायपुर
राज्य में 23 लोक कलाएं एवं 17 भाषा व बोलियां वर्तमान में प्रचलन में है। छत्तीसगढ़ी भाषा के संरक्षण व संवर्धन के लिए पाण्डुलिपि प्रकाशन हेतु 122 एवं संतोष्ठी हेतु 40 संगठन व संस्थाओं को 25,13,270 रुपये का अनुदान दिया गया।

जशपुर विधायक विनय कुमार भगत ने खाद्य मंत्री से प्रदेश में कितनी लोक कलाएं एवं भाषाएं वर्तमान में प्रचलन में है और कितनी विलुप्त हो गई है या विलुप्त होने के कगार पर है का सवाल प्रश्नोत्तरकाल के दौरान पूछा। अमरजीत भगत ने बताया कि प्रदेश में मुख्य पारंपरिक लगभग 23 लोक कलाएं एवं 17 भाषा व बोलियां वर्तमान में प्रचलन में है, विलुप्त हो गई या विलुपित के कगार पर भाषा व बोली संबंधी जानकारी विषय-विशेषज्ञ, शोध-सर्वेक्षण के माध्यम से संभव है, जिसकी सुनिश्चित तथ्यात्मक जानकारी उपलब्ध नहीं है। लोक कला, संस्कृति और स्थानीय भाषाओं के संरक्षण व संवर्धन हेतु छत्तीसगढ़ प्रशिक्षण कार्यकम के साथ-साथ भाषा अध्ययन, अनुसंधान, दस्तावेजीकरण, संकलन, अनुवाद, प्रकाशन आदि योजनाएं संचालित है।

विधायक भगत ने सवाल किया कि संरक्षण व संवर्धन हेतु क्या गैर सरकारी संगठनों को भी अनुदान किया जाता है तथा कितनी राशि कौन-कौन से किस-किस मदद से व्यय की गई है जानकारी देवें। मंत्री भगत ने बताया कि भाषा के संरक्षण  व संवर्धन के लिए वर्ष 2016-17 से 10 फरवरी 2020 तक पाण्डुलिपि प्रकाशन हेतु 122 एवं संगोष्ठी हेतु 40 संगठन व संस्थाओं को 25,13,270 रुपये का अनुदान दिया गया है। उक्त कार्य में संस्था द्वारा प्रकाशन की प्रतियां उपलब्ध कराई गई है तथा संगोष्ठी हेतु प्रदान किए गए अनुदान के विरुद्ध उपयोगिता प्रमाण पत्र, व्यय विवरण प्राप्त हुआ है जिनका मूल्यांकन विभागीय समिति द्वारा प्रतिवेदन प्राप्ति पर कराया जाकर संतोषजनक पाया गया है। वहीं प्रदेश में छत्तीसगढ़ी भाषा के संरक्षण व संवर्धन हेतु वर्ष 2016-17 से 10 फरवरी 2020 तक प्रकाशन मद में 172 संगठन व संस्था को 17,21,00 तथा सम्मेलन मद में 40 संगठन व संस्था को 7,92,270 रुपये व्यय की गई है। प्रदत्त अनुदान में निर्माण कार्य हेतु भी कोई भी राशि नहीं दी गई है।

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