मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बहुसंख्यकवाद और तानाशाही देश को अंधेरे और अनिश्चितता के रास्ते पर ले जाएगी। यही नहीं पूर्व गवर्नर ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर संस्थानों को कमजोर करने का भी आरोप लगाया। यही नहीं रघुराम राजन ने कहा कि सरकार इकॉनमी को लंबी समस्या की ओर धकेल रही है। उन्होंने हाल ही में दिए एक लेक्चर में कहा कि सरकार की मौजूदा आर्थिक व्यवस्था स्थायी नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार पॉपुलिस्ट पॉलिसी अपनाते हुए लैटिन अमेरिकी देशों की राह पर भारत को आगे बढ़ा रही है। यही नहीं भारतीय इकॉनमी में मौजूदा स्लोडाउन के लिए भी उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। रघुराम राजन ने कहा कि गलत ढंग से की गई नोटबंदी और जीएसटी के चलते यह स्थिति पैदा हुई है।
अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी में 9 अक्टूबर को ओपी जिंदल लेक्चर के दौरान उन्होंने कहा, 'ग्रोथ कम हो रही है और उसके बाद भी सरकार वेलफेयर स्कीमों को आगे बढ़ा रही है। सरकार पर वेलफेयर प्रोग्राम्स को आगे बढ़ाने का काफी दबाव है। लेकिन, आप इस तरह से लगातार खर्च नहीं करते रह सकते।' 2005 में सब-प्राइम क्राइसिस की भविष्यवाणी करने वाले रघुराम राजन ने कहा कि फाइनैंस और रियल एस्टेट सेक्टर में कमजोरी स्लोडाउन का संकेत है। यह इसका मूल कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मंदी का मुख्य कारण यह है कि हमने अपनी ग्रोथ को बढ़ाने में सफलता नहीं पाई है।
इकॉनमी में स्लोडाउन के लिए रघुराम राजन ने सरकार में नेतृत्व के केंद्रीकरण को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, 'पहले टर्म में नरेंद्र मोदी ने इकॉनमी के मोर्चे पर अच्छा परफॉर्मेंस नहीं किया। इसकी वजह यह थी कि किसी भी फैसले के लिए नेतृत्व पर बहुत ज्यादा निर्भरता थी। जिसके पास निरंतर, तार्किक विजन नहीं था कि कैसे ग्रोथ को हासिल किया जाए।'