अध्यात्म

ये मत पूछिए कि औरों ने आपके लिए क्या किया ये सोचिये कि आपने औरों के लिए क्या किया

जीवन में कामयाब होने का फार्मूला है: जब आप दुनिया की सेवा करेंगे और दूसरों के लिए अपनी इच्छा का त्याग करेंगे तो ईश्वर आपके जीवन में चमत्कार करेगा और त्याग की ताकत से आपको जीवन की हर खुशियां सहज ही प्राप्त हो जाएंगी

भोपाल. बहुत पुरानी बात है। किसी नगर में हरीश नाम का एक नवयुवक रहता था। उसके मां-बाप स्वर्ग सिधार चुके थे। गरीब होने के कारण उसके पास अपने खेत भी नहीं थे, औरों के खेतों में वह दिन भर छोटे-मोटे काम करता और बदले में खाने के लिए आटा-चावल ले आता। घर आकर वह अपना भोजन तैयार करता और खा-पीकर सो जाता।

जीवन ऐसे ही संघर्षपूर्ण था, ऊपर से एक और मुसीबत उसके पीछे पड़ गयी। एक दिन उसने अपने लिए चार रोटियां बनाई। हाथ-मुंह धोकर वापस आया तब तक 3 ही बचीं। दूसरे दिन भी यही हुआ। तीसरे दिन उसने रोटियां बनाने के बाद उस स्थान पर नजर रखी। उसने देखा कि कुछ देर बाद वहां एक मोटा सा चूहा आता है और एक रोटी उठा कर वहां से जाने लगता है।

हरीश तैयार रहता है, वह फौरन चूहे को पकड़ लेता है। चूहा बोला, भैया मेरी किस्मत का क्यों खा रहे हो। मेरी चपाती मुझे ले जाने दो। हरीश बोला तुम्हे ले जाने दी तो मेरा पेट कैसे भरेगा, मैंने पहले से ही अपने जीवन से परेशान हूं ऊपर से अब पेट भर खाना भी ना मिले तो मैं क्या करूंगा। न जाने मेरे जीवन में खुशहाली कब आएगी।

इस पर चूहे ने कहा, तुम्हारे सारे सवालों का जवाब तुम्हें मतंग ऋषि दे सकते हैं।
हरीश ने पूछा कौन हैं वह, चूहे ने उत्तर दिया-वह एक पहुंचे हुए संत हैं। उतर दिशा में कई पर्वतों और नदियों को पार करके ही उनके आश्रम तक पहंचा जा सकता है। तुम उन्हीं के पास जाओ, वही तुम्हारा उद्धार करेंगे। हरीश चूहे की बात मान गया, और अगली सुबह ही खाने-पीने की गठरी बांध कर आश्रम की ओर बढ़ चला।

काफी दूर चलने के बाद उसे एक हवेली दिखाई दी। हरीश वहां गया और रात भर के लिए शरण मांगी। हवेली की मालकिन ने पूछा बेटा कहां जा रहे हो। हरीश बोला मैं मतंग ऋषि के आश्रम जा रहा हूं। मालकिन बोली बहुत अच्छा, उनसे मेरे एक प्रश्न का उत्तर मांग कर लाना कि मेरी बेटी 20 साल की हो गयी है, वह देखने में अत्यंत सुन्दर है, उसके अन्दर हर प्रकार के गुण भी विद्यमान हैं। बेचारी ने अभी तक एक शब्द नहीं बोला है, पूछना वह कब बोलना शुरू करेगी। और ऐसा कहते-कहते मालकिन रो पड़ी। हरीश-जी आप परेशान ना हों, मैं आपका उत्तर जरूर लेकर आऊंगा।

हरीश अगले दिन आगे चल पड़ा। रास्ता बहुत ज्यादा लंबा था। रास्ते में उसे बड़े-बड़े बर्फीले पहाड़ मिले। उसे समझ नहीं आ रहा था कि कैसे पार करूं। समय बीत रहा था, तभी उसे एक तांत्रिक दिखाई दिया, जो वहां बैठ कर तपस्या कर रहा था। हरीश तांत्रिक के पास गया और उससे बोला कि मुझे मतंग ऋषि के दर्शन को जाना है कैसे जाऊं। रास्ता तो बहुत ही परेशानी वाला लग रहा है। तांत्रिक बोला मैं तुम्हारा सफर आसान बना दूंगा पर तुम्हे मेरे एक प्रश्न का उत्तर लाना होगा।

इस पर हरीश बोला जब आप मुझे वहां पहुंचा सकते हैं तो स्वयं क्यों नहीं चले जाते। इस पर तांत्रिक बोला क्योंकि मैंने इस स्थान को छोड़ा तो मेरी तपस्या भंग हो जाएगी। हरीश बोला ठीक है आप अपना प्रश्न बताएं। इस पर तांत्रिक बोला, पूछना मेरी तपस्या कब सफल होगी, मुझे ज्ञान कब मिलेगा। हरीश बोला ठीक है, मैं इस प्रश्न का उत्तर जरूर लाऊंगा। इसके बाद तांत्रिक ने अपनी तांत्रिक विद्या से लड़के को पहाड़ पार करा दिया।

अब आश्रम तक पहुंचने के लिए सिर्फ एक नदी ही पार करनी थी। हरीश इतनी विशाल नदी देखकर घबड़ा गया, तभी उसे नदी के किनारे एक बड़ा सा कछुआ दिखाई दिया। लड़के ने कछुए से मदद मांगी। आप मुझे अपनी पीठ पर बैठाकर नदी पार करा दीजिए। कछुए ने कहा ठीक है। जब दोनों नदी पार कर रहे थे तो कछुए ने पूछा-कहां जा रहे हो। हरीश ने उत्तर दिया-मैं मतंग ऋषि से मिलने जा रहा हूं।

इस पर कछुए ने कहा-ये तो बहुत अच्छी बात है। क्या तुम मेरा एक प्रश्न उनसे पूछ सकते हो। हरीश बोला जी अपना प्रश्न बताइए। कछुआ बोला मैं एक असाधारण कछुआ हूं जो समय आने पर ड्रैगन बन सकता है। 500 सालों से मैं इसी नदी में हूं और ड्रैगन बनने की कोशिश कर रहा हूं। मैं ड्रैगन कब बनूंगा बस यह पूछ कर के आ जाना।

नदी पार करके कुछ दूर जाने पर मतंग ऋषि का आश्रम दिखाई देने लगा। आश्रम में प्रवेश करने पर शिष्यों ने हरीश का स्वागत किया। संध्या समय ऋषि ने हरीश को दर्शन दिए और बोले पुत्र, मैं तुम्हारे किन्ही भी तीन प्रश्नों का उत्तर दे सकता हूं। पूछो अपने प्रश्न। हरीश असमंजस में फंस गया कि वह अपना प्रश्न पूछे या उसकी मदद करने वाली मालकिन, तांत्रिक और कछुए का।

वह अपना प्रश्न पूछना चाहता था पर उसने सोचा कि उसे मुसीबत में मदद करने वाले लोगों का उपकार नहीं भूलना चाहिये। उसे ये नहीं भूलना चाहिए कि उसने उन लोगों से उनके प्रश्नों के उत्तर लाने का वादा किया है।

उसी पल उसने निश्चय किया कि वह खूब मेहनत करेगा और अपनी जिन्दगी बदल देगा, लेकिन इस समय उन 3 लोगों की जिंदगी में बदलाव लाना जरूरी है। और यही सोचते-सोचते उसने ऋषि से पूछा, हवेली के मालिक की बेटी कब बोलेगी। ऋषि बोले जैसे ही उसका विवाह होगा, वह बोलना शुरू कर देगी। हरीश बोला तांत्रिक को मोक्ष कब प्राप्त होगा। ऋषि बोले जब वह अपनी तांत्रिक विद्या का मोह छोड़ उसे किसी और को दे देगा, तब उसे ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी। हरीश बोला वह कछुआ ड्रैगन कब बनेगा। इस पर ऋषि बोले जिस दिन उसने अपना कवच उतार दिया वह ड्रैगन बन जाएगा।

हरीश ऋषि से उत्तर जानकर बहुत प्रसन्न हुआ। अगली सुबह वह ऋषि का चरण स्पर्श कर वहां से प्रस्थान कर गया। वापस रास्ते में कछुआ मिला। उसने हरीश को नदी पार करा दी और अपने प्रश्न के बारे में पूछा। तब हरीश ने कछुए से कहा कि भैया अगर तुम अपना कवच उतार दो तो तुम ड्रैगन बन जाओगे। कछुए ने जैसे ही कवच उतारा, उसमे से ढेरों मोती झरने लगे। कछुए ने वे सारे मोती हरीश को दे दिए और कुछ ही पलों में ड्रैगन में बदल गया। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने फौरन हरीश को अपने ऊपर बिठाया और बर्फीली पहाडिय़ां पार करा दीं।

थोड़ा आगे जाने पर उसे तांत्रिक मिला। हरीश ने उसे ऋषि की बात बता दी कि जब आप अपनी तांत्रिक विद्या किसी और को दे देंगे तो आपको ज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी। इस पर तांत्रिक बोला, अब मैं कहां किसे ढूंढने जाऊंगा, ऐसा करो तुम ही मेरी विद्या ले लो, और ऐसा कहते हुए तांत्रिक ने अपनी सारी विद्या हरीश को दे दी और अगले ही क्षण उसे ज्ञान प्राप्ति की अनुभूति हो गयी।

हरीश वहां से आगे बढ़ा और तांत्रिक से मिली विद्या के दम पर जल्द ही हवेली पहुंच गया। मालकिन ने उसे देखते ही पूछा क्या कहा ऋषि मतंग ने मेरी बिटिया के बारे में। इस पर हरीश बोला, जिस दिन उसकी शादी हो जाएगी, वह बोलने लगेगी। इस पर मालकिन बोलीं तो देर किस बात की है तुम इतनी बड़ी खुशखबरी लाए हो भला तुम से अच्छा लड़का उसके लिए कौन हो सकता है और दोनों की शादी करा दी गयी। और सचमुच लड़की बोलने लगी।

हरीश अपनी पत्नी को लेकर गांव पहुंचा। उसने सबसे पहले उस चूहे को धन्यवाद दिया और अपनी नयी हवेली में उसके लिए भी रहने की एक जगह बनवा दी। कभी जीवन से हार चुके हरीश के पास आज धन-दौलत, परिवार, ताकत सब कुछ था, सिर्फ इसलिए, क्योंकि उसने अपने प्रश्न का त्याग किया था, उसने खुद से पहले दूसरों के बारे में सोचा था। और यही जीवन में कामयाब होने का फार्मूला है।

ये मत पूछिए कि औरों ने आपके लिए क्या किया ये सोचिये कि आपने औरों के लिए क्या किया। जब आप इस सेवा भाव के साथ दुनिया की सेवा करेंगे और दूसरों के लिए अपनी इच्छा का त्याग करेंगे तो ईश्वर आपके जीवन में भी चमत्कार करेगा और त्याग की ताकत से आपको जीवन की हर खुशियां सहज ही प्राप्त हो जाएंगी।

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