लखनऊ
पार्टी में 'ऑपरेशन कायाकल्प' चलाकर कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने सख्त कदम तो उठा लिया, लेकिन राह अभी इतनी आसान नहीं है। उत्तर प्रदेश की टीम में जिस तरह से पुराने और अनुभवी कार्यकर्ताओं को किनारे किया गया है, उससे संगठन में समन्वय की नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं।
विधानसभा चुनाव 2022 को लक्ष्य बनाकर काम कर रहीं कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी एवं राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा के फार्मूले पर ही प्रदेश कमेटी बनाई गई है। उनका फार्मूला नए कार्यकर्ताओं को तरजीह देने और कमेटी छोटी बनाने का था। उसी पर अमल हुआ और कमेटी से उन कार्यकर्ताओं की छंटनी हो गई, जो वर्षों से प्रदेश पदाधिकारियों की टीम में शामिल रहे हैं। अब जो प्रदेश कमेटी घोषित हुई है, उसमें अधिकांश चेहरे बिल्कुल नए हैं। प्रियंका के इस निर्णय को युवा कार्यकर्ता तो पार्टी के हित का मान रहे हैं, जबकि वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का तर्क है कि युवा जोश के साथ अनुभव का भी मेल होना था। जो कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में पार्टी का चेहरा थे, उन्हें किनारे किए जाने से नुकसान हो सकता है। संगठन में मनमुटाव जैसी स्थिति बन सकती है।
हटाए त्रिपाठी, सिद्धार्थ और अनूप बनाए प्रशासन प्रभारी
प्रदेशाध्यक्ष बनने के साथ ही अजय कुमार लल्लू ने कमेटी के इतर व्यवस्था के पदों पर अपने भरोसेमंद बिठाने शुरू कर दिए हैं। सबसे पहले बुधवार को उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेसी एवं पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. आरपी त्रिपाठी को हटाया। उनके स्थान पर पूर्व प्रदेश महामंत्री सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव और युवक कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष अनूप कुमार गुप्ता को प्रशासन प्रभारी बनाया गया है।