अध्यात्म

यश, अपयश, हार, जीत, जीवन, मृत्यु का निर्णय ईश्वर करता है, हमें उसका सम्मान करना चाहिए

जीवन में जब आप चारों तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते, तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए

जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी। वो एकांत जगह की तलाश में घूम रही थी, कि उसे नदी किनारे ऊंची और घनी घास दिखी। उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये। वहां पहुंचते ही उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी। उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कड़कने लगी।

उसने दाये देखा, तो एक शिकारी तीर का निशाना उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुड़ी, तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड़ चुकी थी और पीछे मुड़ी, तो नदी में जल बहुत था।

मादा हिरनी क्या करती, वह प्रसव पीड़ा से व्याकुल थी। अब क्या होगा, क्या हिरनी जीवित बचेगी, क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी, क्या शावक जीवित रहेगा, क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी, क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी, क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी, वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है, क्या करेगी वो।

हिरनी अपने आप को शून्य में छोड़, अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी। कुदरत का कारिष्मा देखिये। बिजली चमकी और तीर छोड़ते हुए, शिकारी की आंखे चौंधिया गयी। उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते, शेर की आंख में जा लगा। शेर दहाड़ता हुआ और इधर-उधर भागने लगा और शिकारी शेर को घायल जानकर भाग गया। घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी। हिरनी ने शावक को जन्म दिया।

हमारे जीवन में भी कभी-कभी कुछ क्षण ऐसे आते हैं, जब हम चारों तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते, तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। अन्तत: यश, अपयश, हार, जीत, जीवन, मृत्यु का अंतिम निर्णय ईश्वर करता है। हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए।

कुछ लोग हमारी सराहना करेंगे, कुछ लोग हमारी आलोचना करेंगे। दोनों ही मामलों में हम फायदे में हैं, एक हमें प्रेरित करेगा और दूसरा हमारे भीतर सुधार लाएगा। इसीलिए हमेशा अच्छा और सकारात्मक और बेहतर सोचें।

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