नई दिल्ली
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विवादित नागरिकता संशोधन अधिनियम का यह कहते हुए बचाव किया है कि इसे 130 करोड़ नागरिकों का समर्थन हासिल है. पिछले हफ्ते अमित शाह ने संसद में इस विधेयक पर बहस करते हुए कहा, "नागरिकता संशोधन विधेयक को 130 करोड़ नागरिकों का समर्थन हासिल है क्योंकि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यह बीजेपी के घोषणा पत्र का हिस्सा था."
भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र का अध्ययन किया और पाया कि अभी कई कदम ऐसे हैं जिनपर भाजपा आगे चलकर अमल कर सकती है और अगर ऐसा हुआ तो उन पर विवाद भी होंगे.
आइए भाजपा के उन चुनावी वादों पर नजर डालते हैं जो 2019 में सत्ता में आने के बाद न्यायिक या सरकार के फैसलों द्वारा प्राप्त किए जा चुके हैं.
तीन तलाक: जुलाई में संसद से तीन तलाक को खत्म करने वाला बिल पास हुआ जिसके जरिये मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक बोलकर तलाक लेने पर पाबंदी लगा दी गई. 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया था.
2019 के चुनाव में बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र यानी घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह "तीन तलाक और हलाला निकाह जैसी प्रथा को खत्म करने का कानून" लाएगी.
अनुच्छेद 370: अगस्त में मोदी सरकार ने नाटकीय रूप से जम्मू एवं कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करके राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा कर दी.
अनुच्छे 370 को खत्म करना भी बीजेपी का चुनावी वादा था. लोकसभा चुनाव 2019 के घोषणा पत्र में बीजेपी ने कहा था, "हम जनसंघ के समय से ही अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी अपने दृष्टिकोण को दोहराते हैं."
राम मंदिर: नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित जमीन के मामले में राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक संबोधन में कहा कि "यह फैसला एक नई सुबह लेकर आया है." अपने चुनावी घोषणा पत्र में बीजेपी ने राम मंदिर को लेकर भी वादा किया था कि वह "संविधान के दायरे में सभी संभावनाओं को तलाशेगी और अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए सभी जरूरी उपाय करने के प्रयास करेगी."
नागरिकता संशोधन बिल: इसी महीने संसद ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आने वाले गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने वाले बिल को मंजूरी दी.
बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में "पड़ोसी देशों में उत्पीड़न झेलने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देने वाला" कानून बनाने का वादा किया था.
अब आइए उन मुद्दों पर विचार करें जो बीजेपी के घोषणा पत्र में थे और जिन पर बीजेपी आगे कदम बढ़ा सकती है.
समान नागरिक संहिता
बीजेपी ने अपने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर भी चुनावी वादा किया था. घोषणा पत्र में कहा गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में राज्य के नीति निदेशक तत्वों के तहत समान नागरिक संहिता का प्रावधान है. बीजेपी का मानना है कि जब तक भारत में समान नागरिक संहिता लागू नहीं होगी तब तक लैंगिक समानता नहीं आएगी. यह सभी महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करता है और बीजेपी समान नागरिक संहिता को लाने के संकल्प को दोहराती है.
पूरे देश में NRC
बीजेपी के घोषणा पत्र में कहा गया था कि अवैध आप्रवासन के चलते कई इलाकों में व्यापक पैमाने पर सांस्कृतिक और भाषाई बदलाव आए हैं, इसके चलते स्थानीय लोगों की जीविका और रोजगार पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. हम प्राथमिकता के साथ इन इलाकों में नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजनशिप तैयार करवाएंगे. भविष्य में देश के अन्य हिस्सों में भी एनआरसी लागू किया जाएगा.
एक चुनाव/एक वोटर लिस्ट
बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि हम चुनावी खर्च कम करने, सरकारी संसाधनों का कुशल उपयोग सुनिश्चित करने और प्रभावी नीति निर्माण के लिए लोकसभा, विधानसभा, लोकल बॉडीज के चुनाव एक साथ कराने को प्रतिबद्ध हैं. हम सभी पार्टियों के साथ इस पर सहमति बनाने का प्रयास करेंगे.
हर नागरिक अपने अधिकार का उपयोग कर सके, हर चुनाव में मतदान कर सके और विभिन्न मतदाता सूची के चलते होने वाले भ्रम को दूर करने के लिए हम सभी चुनावों के लिए एक वोटर लिस्ट तैयार करना सुनिश्चित करेंगे.
सिविल सर्विसेज और प्रशासनिक सुधार
इस बारे में बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि भारत को एक विकसित देश में बदलने के लिए हमें "मिनिमम गवर्मेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस" पर काम करने की जरूरत है. हम सिविल सर्विसेस में सुधार करेंगे और यह लक्ष्य प्राप्त करने के लिए इसे लागू करेंगे. नीतियों और समन्वय के बेहतर कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए हम समान और पूरक विभागों का क्षेत्रीय मंत्रालयों में विलय करेंगे. यह नीति निर्माण और व्यापक तौर पर नीतियां बनाने के लिए सुचारु कार्यान्वयन में मदद करेगा.
भाषाई लक्ष्य
इस मसले पर बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा था, हम भारत में लिखी और बोली जाने वाली सभी भाषाओं और बोलियों के अध्ययन के लिए एक टास्ट फोर्स का गठन करेंगे. हम कमजोर या विलुप्तप्राय बोलियों और भाषाओं के पुनरुद्धार और संवर्धन की दिशा में भी काम करेंगे.
संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए हम यह सुनिश्चित करेंगे कि स्कूल स्तर पर संस्कृत पढ़ाई जाए. हम संस्कृत में शोध को बढ़ावा देने के लिए भारत भर के शोधकर्ताओं और विद्वानों को 100 पाणिनि फेलोशिप भी प्रदान करेंगे.