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मोदी सरकार 2.0 : साहसिक फैसलों के नाम रहे सौ दिन

 नई दिल्ली 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल के पहले सौ दिन ऐसे समय में पूरे हो रहे हैं जब चंद्रयान-2 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का तमगा भी संभवत: उसकी चमक बढ़ाने के लिए तैयार रहेगा। 30 मई 2019 को शपथ ग्रहण के साथ शुरू हुए कार्यकाल में सरकार ने संसद में कामकाज का रिकॉर्ड बनाया। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 और 35ए को निष्प्रभावी करने के अलावा मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक की कुप्रथा समाप्त करने का कानून भी बना। इस दौरान सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और श्रम क्षेत्रों में सुधार व प्रगति के लिए कई बड़े कदम भी उठाए।

संसद में सबसे ज्यादा काम 
संसद में भी सरकार की ताकत बढ़ी। राज्यसभा में विपक्ष को झटका दे महत्वपूर्ण विधेयकों पर दो-तिहाई बहुमत तक सरकार ने जुटाया। दस सांसदों ने विपक्षी खेमा छोड़ भाजपा का दामन थामा। विपक्ष के विभिन्न दलों का समर्थन भी सरकार ने जुटाया। लोकसभा ने किसी सत्र में कामकाज का रिकॉर्ड बनाया। आरटीआई संशोधन विधेयक सहित 36 विधेयकों को मंजूरी मिली। लंबे समय बाद यह संभव हुआ कि संसद ने बिना किसी दिन को बर्बाद किए देर रात तक काम किया। 

पाकिस्तान को हर मोर्चे पर मात 
राज्यसभा में बहुमत न होने के बावजूद मोदी सरकार ने जिस तरह से सदन के भीतर दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन जुटाकर अनुच्छेद-370 व 35ए को निष्प्रभावी कराया, वह वाकई काबिल-ए-गौर है। पूरी तरह चौकस सरकार ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र से लेकर सभी अंरराष्ट्रीय मंचों पर भी मात दी। इस बीच उसने पाक जेल में बंद कुलभूषण जाधव के मामले में भी पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया। 

विदेशी मोर्चे पर दिखी ताकत 
प्रधानमंत्री मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में अभी तक रूस, फ्रांस, जापान समेत दस देशों का दौरा कर चुके हैं। दुनिया की महाशक्तियों के प्रमुखों समेत अपने पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम देने के साथ ही वह भारत की नीतियों को प्रमुखता से बताने में सफल रहे हैं।

जनता के बीच जाएगी सरकार 
सरकार अपनी इन उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सात सितंबर से देश भर में प्रेस कांफ्रेंस की जाएगी। मंत्री अखबारों में लेख लिखकर केंद्र सरकार और अपने मंत्रालयों की उपलब्धियां बताएंगे। एक तरफ जहां देश चंद्रयान-2 की सफलता का जश्न मना रहा होगा, तब सरकार अपनी उपलब्धियां भी सामने रख रही होगी।

मंदी-महंगाई से निपटने की चुनौती 
मोदी सरकार के सामने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर आर्थिक मंदी जैसे हालात से निपटने की चुनौती है। महंगाई को नियंत्रित करना और बाढ़ से हुए नुकसान के बाद पनपे हालात को संभालना भी उसकी प्राथमिकता में होगी। रोजगार के मोर्चे पर बेहतर स्थिति बनाना और आतंकवाद के मामले में सीमापार से बढ़े खतरे से निपटना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य
सरकार ने शुरुआत से ही देश को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का बड़ा लक्ष्य तय कर लिया है। वैश्विक मंदी और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मुश्किल दौर से गुजर रहे देश को इस मुकाम पर ले जाने के लिए उसने विभिन्न मंत्रालयों के लिए समयावधि लक्ष्य भी निर्धारित किए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बैंकों की मजबूती के साथ उद्योग जगत को संभालने के लिए कई रियायतें व बड़े कदम उठाने का ऐलान किया है। इस दौरान सरकारी क्षेत्र के दस बैंकों का विलीनीकरण कर उन्हें चार बैंकों में बदलने का बड़ा फैसला लिया गया और बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये भी मुहैया कराए गए।

मोदी सरकार के पांच बड़े कदम

1- अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बनाना

 6 अगस्त 2019

 – राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने का प्रस्ताव मंजूर किया

 9 अगस्त 2019

– जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट को मंजूरी, इससे 31 अक्तूबर 2019 से दो केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर, लद्दाख) में बंट जाएगा राज्य 

एक देश, एक विधान लागू

– विशेष दर्जे के तहत जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान और अलग झंडा था, रक्षा, संचार व विदेश मामले छोड़ कोई कानून लागू कराने में केंद्र को राज्य से अनुमोदन कराना पड़ता था
अलग संविधान की कहानी

– बंटवारे के समय अलग राज्य के पक्षधर रहे जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने कबाइली हमले के बाद अक्तूबर 1947 में विलय पत्र पर दस्तखत किए

– अगस्त 1953 में विलय को राज्य सरकार की मंजूरी, जनवरी 1957 से अलग संविधान लागू

2- ‘तीन तलाक’ कानूनन जुर्म हुआ

26 जुलाई  2019

– संसद ने ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019’ पारित किया, एक अगस्त से कानूनन जुर्म बन गई यह कुप्रथा

– तीन बार ‘तलाक’ बोलकर, लिखकर या एसएमएम-ईमेल भेजकर शादी तोड़ने पर तीन साल तक की जेल का प्रावधान, शायरा बानो व अन्य महिलाओं के मामले में सुनवाई के बाद अगस्त 2017 में सर्वोच्च अदालत ने केंद्र को इस पर पाबंदी लगाने का निर्देश दिया था।

शाह बानो ने भी उठाई थी आवाज

– इंदौर की 62 वर्षीय शाह बानो को 1976 में 14 साल की शादी के बाद उनके शौहर ने पांच बच्चों सहित घर से बाहर निकाल दिया
 

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