मुंबई
चीन के वुहान को पिछले कुछ साल पहले तक कोई नहीं जानता था। लेकिन फिलहाल चीन में करॉना वायरस के संक्रमण का केंद्र बन चुका वुहान भारत समेत दुनिया भर के सैकड़ों मेडिकल स्टूडेंट्स की पहली पसंद बन चुका है। वुहान चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी है।
वुहान एक साल पहले डॉक्टर बनने के इच्छुक युवाओं के लिए आकर्षण का केंद्र उस समय बना जब वहां पर अंग्रेजी में एमबीबीएस कोर्स की शुरुआत हुई। अब सैकड़ों छात्र वुहान और 45 चाइनीज संस्थानों के सामने कतार लगाए खड़े रहते हैं क्योंकि यहां अंग्रेजी में पढ़ाई होती है।
2019 में करीब 21 हजार भारतीय थे मेडिकल स्टूडेंट
आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में करीब 21 हजार भारतीय छात्रों ने चीन के मेडिकल स्कूलों में दाखिला लिया है। इस तरह पड़ोसी देश चीन डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले युवाओं के बीच नंबर एक पर है। इन 45 कॉलेजों के अलावा कुछ भारतीय उन 200 कॉलेजों में भी पढ़ रहे हैं जिनमें अंग्रेजी और चाइनीज भाषाओं में पढ़ाई होती है।
चीन में सुविधाएं कम नहीं, दाखिला आसान
भारतीय मेडिकल की पढ़ाई के लिए चीन का रुख क्यों कर रहे हैं, इसके जवाब में छात्रों को विदेश भेजने वाले काउंसलर करन गुप्ता कहते हैं, 'मेडिकल के प्रत्याशी सभी पहलुओं पर विचार करते हैं क्योंकि मेडिकल कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में दाखिला लेना बहुत मुश्किल और बहुत महंगा हो गया है। चीन जैसे देश में यह काफी सस्ता है और वहां की सुविधाएं भी अगर भारत से बेहतर नहीं है तो कम भी नहीं हैं।'
बहुत सस्ती है चीन में मेडिकल की फीस
औसतन चीन की मेडिकल यूनिवर्सिटी की एक साल की फीस डेढ़ से सवा दो लाख रुपयों के बराबर है। इसके अलावा वहां एक साल का रहने का खर्च लगभग 70 हजार रुपये है। साल 2015 में चीन में 13,500 भारतीय स्टूडेंट पढ़ रहे थे, इस तरह भारत का नाम उन टॉप 10 देशों में शामिल हो गया जिनके छात्र चीन के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे थे।