मुरैना
प्रदेश में एक तरफ सरकार जहां महाकोशल क्षेत्र में गन्ना की फसल को बढ़ावा देने की योजना बना रही है, वहीं मुरैना की सहकारी शुगर मिल को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है। पिछले दस साल से बंद इस कारखाने को 30 साल के लिए लीज पर देने के लिए 12 मार्च तक निजी कपंनियों से आवेदन बुलाए गए हैं। उधर, गुना की शुगर मिल को बेचने का फैसला कैबिनेट ले चुकी है। इसके टेंडर जल्द ही सहकारिता विभाग निकालने जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार बजट में किसानों की आय बढ़ाने के लिए गन्ना की फसल को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण देने का प्रावधान करने जा रही है। इसी सोच के साथ मुरैना, गुना, खरगोन, बुरहानपुर में सहकारी क्षेत्र की शुगर मिल खोली गई थी।
'दि मुरैना मंडल सहकारी शकर कारखाना" प्रदेश में सहकारी क्षेत्र का पहला कारखाना है। यह वर्ष 2010-11 से बंद है और परिसमापन (बंद करने की प्रक्रिया) में है। कारखाने में 1250 टन प्रतिदिन शकर बनाई जा सकती है, लेकिन वित्तीय कुप्रबंधन के चलते यह बंद हो चुकी है। मिल के पास 120 बीघा सरकारी जमीन के साथ 25.68 हेक्टेयर का कृषि फार्म भी है। सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2001-02 तक मिल फायदे में रही।
पुरानी मशीन और तकनीकी खामियों के कारण वर्ष 2009-10 में इसे जब दोबारा चलाने की कोशिश हुई तो वह सफल नहीं रही। मिल के ऊपर गन्ना, वेतन, ग्रेच्युटी, अर्जित अवकाश, शासन की अंशपूंजी और बैंक का कर्ज मिलाकर लगभग 29 करोड़ रुपये की देनदारी है। इसे देखते हुए सरकार ने मिल का संचालन निजी हाथों में देने का निर्णय किया है।
बताया जा रहा है कि कारखाने से लगी जमीन, मशीन सहित अन्य अधोसंरचनाएं मिल को लीज पर लेने वाले को हस्तांतरित की जाएंगी। कारखाने की देनदारी कंपनी के ऊपर नहीं आएगी। अनुबंध समाप्त होने पर दोनों पक्ष यदि सहमत होते हैं तो 10 साल और लीज अवधि बढ़ाई जा सकती है। संस्था की जमीन का गन्ना उत्पादन और सहायक गतिविधियों के अलावा दूसरा कोई उपयोग करने की अनुमति नहीं रहेगी।