मुजफ्फरनगर
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में हिंसा के आरोपियों के खिलाफ यूपी में ऐक्शन शुरू हो गया है। मुजफ्फरनगर में प्रशासन ने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करने में शामिल रहे आरोपियों की रविवार को संपत्ति जब्त की थी। वहीं, लखनऊ में प्रशासन की ओर से गठित कमिटी ने 100 आरोपियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। उधर, मुजफ्फरनगर जाने से आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी को रोक दिया गया है।
बता दें कि यूपी में हुई हिंसा में यूपी में अब तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है। हिंसा के दौरान हुई मौतों को लेकर यूपी पुलिस को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की तरफ से नोटिस भेजा गया है। एनएचआरसी ने चार हफ्तों में डीजीपी ओपी सिंह से जवाब मांगा है।
जयंत चौधरी के समर्थकों का प्रदर्शन
उधर, मुजफ्फरनगर जाने से आरएलडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयंत चौधरी को रोका गया है। चौधरी यहां हिंसा में मारे गए नूरा के परिजनों से मिलने जा रहे थे। खालापार निवासी नूरा की गोली लगने से 20 दिसंबर को मौत हुई थी। खतौली थाना क्षेत्र के चीतल नहर के पास जयंत रोक दिया गया। इसके बाद गुस्साए कार्यकर्ताओं ने सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया।
लखनऊ में 100 को नोटिस
सीएए का विरोध करते हुए 19 दिसंबर को लखनऊ के खदरा, हुसैनाबाद और परिवर्तन चौक पर तोड़फोड़, पथराव और आगजनी हुई थी। जिला प्रशासन की ओर से गठित कमिटी ने 100 आरोपियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। एक हफ्ते के अंदर उन्हें संबंधित एडीएम कोर्ट में खुद को बेगुनाह साबित करना होगा। ऐसा न कर पाने की स्थिति में उपद्रव के दौरान हुए नुकसान की भरपाई करनी होगी। क्षतिपूर्ति जमा न करने वालों की संपत्ति सीज करने के साथ ही उन्हें जेल भी भेजा जा सकता है।
मेरठ में 141 प्रदर्शनकारियों को भेजी गई नोटिस
मेरठ प्रशासन ने भी हिंसा और तोड़फोड़ के आरोपियों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। 20 दिसंबर को मेरठ में हुए हिंसक प्रदर्शन में तोड़फोड़ और आगजनी के 141 लोगों को नोटिस भेजकर प्रशासन ने 14 लाख रुपये की सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई करने को कहा है। स्थानीय पुलिस ने 13 एफआईआर के जरिए आरोपियों की पहचान की है।
ऐसे हुई उपद्रवियों की पहचान
पुलिस ने सीसीटीवी और विडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है कि पब्लिक प्रॉपर्टी की क्षतिपूर्ति के लिए उनकी संपत्ति क्यों न जब्त की जाए। यह नोटिस हाई कोर्ट के 2010 के आदेश के अनुसार भेजी गई है जिसमें कहा गया है कि हिंसा में शामिल लोगों से वसूली कर सार्वजनिक संपत्ति की भरपाई की जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद जिला प्रशासन तुरंत ऐक्शन में दिखाई दे रहा है।