मुंबई
मराठा आरक्षण के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को नियुक्त किया है। रोहतगी का साथ देने के लिए वकीलों की टीम भी लगाई गई है। इसमें परमजीत पटवालिया, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आत्माराम नाडकर्णी, राज्य सरकार द्वारा सप्रीम कोर्ट में नियुक्त निशांत कटणेश्वरकर, राज्यस्तरीय लेखा समिति के अध्यक्ष ऐडवोकेट सचिन पटवर्धन, मुंबई हाई कोर्ट के ऐडवोकेट सुखदरे, एड. अक्षय शिंदे, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव शिवाजी दौंड, विधि व न्याय विभाग के सचिव (विधि विधान) राजेंद्र भागवत, सह सचिव गुरव शामिल हैं।
गौरतलब है कि आरक्षण के लिए मराठा समाज ने राज्य में लंबी लड़ाई लड़ी और 58 मूक मोर्चे निकाले थे, जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मराठा समाज को शिक्षा और नौकरियों में 16 प्रतिशत आरक्षण देने की मंजूरी दी थी। सरकार फैसले के खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। हाई कोर्ट ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा था, जिसके खिलाफ एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया कि संविधान पीठ द्वारा तय आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन हुआ है।
सोमवार को मुकुल रोहतगी की नियुक्ति से पहले मराठा क्रांति मोर्चा ने राज्यपाल और राज्य के मुख्य सचिव अजोय मेहता से मिल कर विज्ञप्ति दी, जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण की लड़ाई को बल देने के लिए विधि विशेषज्ञों की टीम उतारी जाए। विज्ञप्ति में यह भी कहा गया कि यदि ऐसा नहीं हुआ, तो मराठा समाज का आरक्षण के लिए दिया गया बलिदान व्यर्थ जाएगा। मोर्चे में शामिल दिलीप पाटील के मुताबिक हमने मुख्य सचिव और राज्यपाल से मांग की थी कि जिस तरह हाई कोर्ट में आरक्षण को बचाए रखने के लिए कानूनविदों की मजबूत टीम बनाई गई थी, वैसे ही टीम सुप्रीम कोर्ट में भी होनी चाहिए।