हैदराबाद
टी20 क्रिकेट में भारतीय टीम मिशन टी20 वर्ल्ड कप (2020) की तैयारियों को लेकर अपनी रणनीतियां तैयार करने में जुटी है। इस कड़ी में शुक्रवार से टीम इंडिया वेस्ट इंडीज के खिलाफ 3 टी20 मैचों की सीरीज का आगाज करेगी तो उसका टारगेट अगले साल अक्टूबर में ऑस्ट्रेलिया में होने वाले वर्ल्ड कप की तैयारियों पर ही होगा। वर्ल्ड कप मिशन में कूदने से पहले टीम इंडिया के पास शेड्यूल 11 टी20 इंटरनैशनल मैच ही बचे हैं। ऐसे में कुछ सवाल हैं, जिनका हल टीम इंडिया को इन बचे हुए 11 मैचों में ढूंढना है।
पहले बैटिंग कर मैच का अंत करे टीम इंडिया
टी20 क्रिकेट में, टीम इंडिया लक्ष्य का पीछा करना ज्यादा पसंद करती है। 2017 की शुरुआत में जब एमएस धोनी ने कप्तानी छोड़ी थी, तब से लेकर अब तक भारतीय टीम ने इस सबसे छोटे फॉर्मेट में 45 मैच खेले हैं। इनमें टीम इंडिया को 30 में जीत, जबकि 14 में हार का सामना करना पड़ा है। इन 14 हार में से 10 हार तब मिली हैं, जब टीम इंडिया ने पहले बैटिंग करते हुए विरोधी टीम के लिए लक्ष्य सेट किया हो। ऐसे में टीम को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
अगर धवन नहीं, तो कौन?
इस बात में कोई शक नहीं कि वनडे क्रिकेट में शिखर धवन बतौर ओपनर एक मैच विनर खिलाड़ी हैं, लेकिन क्या उनकी टी20 परफॉर्मेंस को देखकर भी ऐसा कहा जा सकता है? उनकी पिछली कुछ पारियां देखें तो उन्हें इस फॉर्मेट में रनों के जूझना पड़ रहा है। वह शुरुआत में अधिक डॉट बॉल खेलते हैं और बाद में भी इसकी भरपाई भी वह नहीं कर पा रहे हैं। उनका खेल रोहित शर्मा जैसी पावर वाला भी नहीं है और न ही उनके पास विराट कोहली जैसी एक-दो रन दौड़ने की तेजी है। शिखर इस सीरीज में चोट के कारण उपलब्ध भी नहीं हैं और ऐसे में केएल राहुल के पास इस जगह पर कब्जा जमाने का शानदार मौका है। कर्नाटक के इस खिलाड़ी ने हाल ही में संपन्न हुई सैयद मुश्ताक अली टी20 ट्रोफी में खूब रन ठोके हैं।
उंगलियों के स्पिनर से खेले तो चुनौती?
ऑस्ट्रेलिया के लिहाज से देखें, जहां विकेट की सतह हार्ड रहती है, वहां फिंगर स्पिनर के साथ खेलना एक चुनौती हो सकता है। इसी कारण से विराट ने नेतृत्व वाली टीम इंडिया सफेद बॉल वाले फॉर्मेट में रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन के स्थान पर चाइनामैन कुलदीप यादव और लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल को तरजीह दे रही है। बोलिंग में तो यह चेंज कारगर साबित हुआ है लेकिन इससे टीम का बैटिंग संतुलन भी प्रभावित हुआ है। विराट कोहली टी20 फॉर्मेट में टीम की बैटिंग में ज्यादा गहराई में विश्वास जता रहे हैं। इसी मकसद से टीम इंडिया ने क्रुणाल पंड्या और वॉशिंग्टन सुंदर पर को आजमाया है। सुंदर पावरप्ले के दौरान भी अच्छी बोलिंग करते हैं और क्रुणाल लंबे-लंबे हिट लगा सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये दोनों खिलाड़ी ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर एक मैच में 5 विकेट लेने का कारनामा कर सकते हैं?
मिडल ऑर्डर भी है समस्या
भारतीय टीम जब 2019 वर्ल्ड कप की तैयारियां कर रही थी तब से ही वह नंबर 4 पर किसी बल्लेबाज को स्थापित नहीं कर पाई। वनडे वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में टीम के लिए यह घातक भी साबित हुआ और न्यू जीलैंड के खिलाफ टीम को हारकर टूर्नमेंट से बाहर होना पड़ा। विराट नंबर 3 पर ही बैटिंग करेंगे यह तय है और नंबर 4 के लिए भारतीय टीम के पास मनीष पांडे, श्रेयस अय्यर और ऋषभ पंत के रूप में विकल्प मौजूद हैं और एत पॉजिशन के लिए इतने सारे विकल्प भारतीय टीम मैनेजमेंट की दुविधा बढ़ाएंगे। बांग्लादेश के खिलाफ अय्यर ने शानदार खेल दिखाया और पांडे भी बड़े-बड़े स्ट्रोक्स खेलने के लिए जाने जाते हैं। यहां पंत पर अपनी जगह को लेकर खतरा मंडरा रहा है क्योंकि अगर वह यहां फ्लॉप हुए तो फिर उनके विकल्प के तौर पर संजू सैमसन भी बैठे हैं।
क्या बुमराह वाला रोल निभाएंगे चाहर?
आईपीएल में एमएसधोनी चाहर के चार ओवरों को पावरप्ले में ही इस्तेमाल करते रहे हैं। चेन्नै सुपरकिंग्स (CSK) के लिए आईपीएल खेलने वाले इस खिलाड़ी ने बांग्लादेश के खिलाफ काफी प्रभावित किया। तब कप्तान रोहित शर्मा ने चाहर का उपयोग फिनिशर के तौर पर भी किया। बांग्लादेश के खिलाफ एक मैच में 6/7 का परफॉर्मेंस करने के बाद इस युवा तेज गेंदबाज ने कहा, 'बुमराह की ही तरह मेरा इस्तेमाल होगा।' क्या वह विंडीज के खिलाड़ियों के सामने भी ऐसा परफॉर्म कर सकते हैं? टीम इंडिया के पास वैसे तो वर्ल्ड कप मिशन के लिए मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह मौजूद हैं। लेकिन बुमराह फिलहाल चोट से जूझ रहे हैं और उन्हें अभी अपनी फिटनेस हासिल करनी है। खलील को महंगा साबित होना भी टीम के लिए चुनौती है और ऐसे में बुमराह के विकल्प के तौर पर टीम चाहर को तैयार करना चाहेगी।