नई दिल्ली
महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए चले लंबे सियासी संग्राम के बाद अब राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है। ऐसे में अब शिवसेना ने इसके लेकर भी अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि- 'विधानसभा को 6 महीनों के लिए स्थगित करके राज्यपाल ने उसके प्रशासकीय सूत्रों को राजभवन के नियंत्रण में ले लिया है। अब वे सलाहकारों की सहायता से इतने बड़े राज्य की देख-रेख करेंगे। राज्यपाल कई वर्षों तक संघ के स्वयंसेवक थे। वे उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लेकिन महाराष्ट्र अलग राज्य है।'
'इसका आकार और इतिहास भव्य है। यहां टेढ़ा-मेढ़ा कुछ नहीं चलेगा। इतने बड़े राज्य में सरकार स्थापना करने के लिए आप 48 घंटे भी नहीं दे रहे होंगे तो 'दया, कुछ तो गड़बड़ है',जनता को ऐसा लग सकता है. छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लाद दिया लेकिन सरकार स्थापना के लिए दो दिनों की मोहलत नहीं बढ़ाई।”
इसमें लिखा गया कि 'सरकार स्थापना के लिए कम से कम 24 घंटे बढ़ाने की बात लेकर राजभवन पहुंचे नेताओं के बारे में जहां राज शिष्टाचार का पालन नहीं हुआ वहां 24 मिनट भी समय बढ़ाकर मिल सकता था क्या? ठीक है। हमने थोड़ा समय मांगा लेकिन दयालु राज्यपाल ने अब राष्ट्रपति शासन लागू करके बहुत समय दिया है। मानो महाराष्ट्र पर जो राष्ट्रपति शासन का सिलबट्टा घुमाया गया है उसकी पटकथा पहले से ही लिखी जा चुकी थी।'
'आज महाराष्ट्र में चार अलग-अलग विचारधाराओं की पार्टियां अपने-अपने पत्ते हाथ में रखकर पीस रही हैं। इस खेल में दुक्का और तिर्री को भी महत्व मिल गया है. राजभवन के हाथ में 'इक्का' नहीं था, फिर भी उन्होंने उसे फेंका। जुए में ऐसे जाली पत्ते फेंककर दांव जीतने का प्रयास अब तक सफल नहीं हुआ है और महाराष्ट्र जुए में लगाने की 'चीज' नहीं है। सरकारें आएंगी, जाएंगी लेकिन अन्याय और ढोंग से लड़ने की महाराष्ट्र की प्रेरणा अजेय है।'
बता दें कि महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था जिसके बाद सीएम पद को लेकर दोनों के बीच सहमति नहीं बन सकी और फिर अन्य पार्टियों ने भी सरकार बनाने को लेकर कोशिश की। हालांकि कोई रास्ता नहीं निकल सका जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया।