मुंबई
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से 380 किलोमीटर दूर सूखाग्रस्त मराठवाडा की महिलाओं के सामने रोजी के लिए अपनी कोख की बलि दे रही हैं। कुछ दिनों की मजदूरी गंवाने से बचने के लिए बीड और उस्मानाबाद की हजारों महिला गन्ना मजदूरों ने ऑपरेशन करवाकर अपने गर्भाशय निकलवा दिए हैं। मंत्री डॉ. नितिन राउत ने इस संबंध में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर कहा कि करीब 30 हजार महिलाओं ने इसलिए अपना गर्भाशय निकलवा दिए हैं कि उन्हें काम से छुट्टी न लेने पड़े और पूरी मजदूरी मिले।
राउत ने मुख्यमंत्री से ऐसा कदम उठाने की गुहार लगाई है कि अन्य महिलाओं को इस तरह के कदम न उठाने पड़ें। बता दें कि इसी वर्ष जून के महीने में बीड में 4,605 महिलाओं के गर्भाशय निकलवाने का मामला सामने आया था। युति सरकार के दौरान विधान परिषद में शिवसेना सदस्य नीलम गोर्हे ने इस मुद्दे को उठाया था।
मासिक धर्म से बचने के लिए
मराठवाडा में खराब आर्थिक हालात के कारण पुरुषों के साथ महिलाएं भी रोज मजदूरी करने जाती हैं। मासिक धर्म के दौरान वे परेशानी की वजह से खेतों में काम नहीं कर पातीं, तो उन्हें छुट्टी लेनी पड़ती है। इस वजह से उन्हें हर महीने 4 से 5 दिन की मजदूरी नहीं मिलती। उसे बचाने के लिए ये महिलाएं गर्भाशय निकलवा देती हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्री, डॉ. नितिन राउत ने कहा, 'यह बेहद दुखद है कि कुछ दिनों की मजदूरी के नुकसान से बचने के लिए महिलाओं ने ऐसा किया है। मैंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से उनकी शिकायतों को दूर करने का अनुरोध किया है। मुझे उम्मीद है कि सरकार निश्चित रूप से इसका समाधान निकालेगी।’ राउत ने इस समस्या से बचने के लिए सुझाव दिया है कि अगर गन्ना पेराई करने वाली फैक्टरियां इस दौरान हर महीने चार दिन की मजदूरी देने को राजी हो जाएं, महिला मजदूरों को यह कदम नहीं उठाना पड़ेगा।