भोपाल
जबलपुर.मध्यप्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर प्रदेश सरकार को झटका लग सकता है. हाईकोर्ट प्रशासन ने साफ कर दिया है कि हाईकोर्ट की भर्ती प्रक्रिया में भी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जाएगा,इसके अलावा हाईकोर्ट प्रशासन सरकार द्वारा आर्थिक कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को दिया जाने वाला 10% आरक्षण भी अपनी अदालतों में लागू नहीं करेगा। उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर इसका गजट नोटिफिकेशन जारी करने को कहा है।
हाईकोर्ट ने मप्र जिला न्यायालय स्थापना (भर्ती एवं सेवा शर्त) नियम 2016 के तहत एससी को 16%, एसटी को 20% और ओबीसी को 14% आरक्षण देना मंजूर किया है। उच्च न्यायिक सेवा के लिए बनी हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति ने 12 दिसंबर 2019 को हुई बैठक में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने से साफ इनकार कर दिया था। इसके बाद 20 जनवरी को हाईकोर्ट की फुल कोर्ट मीटिंग में भी चीफ जस्टिस एके मित्तल सहित सभी जजों ने इस निर्णय को मंजूरी दे दी।
हाईकोर्ट से अभिमत लेना जरूरी
संविधान के अनुच्छेद 233 एवं 234 के तहत जिला अदालतों के जजों की सेवा शर्तों में संशोधन करने से पहले हाईकोर्ट से अभिमत लेना जरूरी है। सरकार ने अभी तक हाईकोर्ट से मंजूरी नहीं ली है, इसलिए कोई संशोधन नहीं किया गया है।-सत्येन्द्र कुमार सिंह, प्रमुख सचिव विधि
हाईकोर्ट का मत
यदि आरक्षण प्रतिशत लागू किया जाता है तो यह सुप्रीम कोर्ट की मंशा के विपरीत होगा। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
हाईकोर्ट प्रशासन के जवाब से सरकार को झटका
मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण ना देने के मामले पर जबलपुर हाईकोर्ट में आज हाईकोर्ट प्रशासन ने अपना जवाब पेश किया. इसमें हाईकोर्ट प्रशासन ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता.हाईकोर्ट प्रशासन के जवाब में कहीं ना कहीं राज्य सरकार को एक बड़ा झटका लगता नजर आ रहा है. प्रशासन ने अपने जवाब में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है.इसलिए हाईकोर्ट की भर्ती प्रक्रिया में भी ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जाएगा.