भोपाल
भोपाल(bhopal) के लोग बेहाल हैं. ऐसी बारिश (rain)की कामना और उम्मीद किसी ने हरगिज़ नहीं की थी. मॉनसून (monsoon)आने में देर हुई तो सबने बारिश के लिए दुआ शुरू कर दी, लेकिन बारिश ने तो देर आए दुरुस्त आए की तर्ज़ पर ऐसी एंट्री मारी कि अब वापस ही नहीं जा रही. मौसम विभाग ने फिर 35 ज़िलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है. भोपाल के लिए ऑरेंज अलर्ट(orange alert) जारी हुआ है.
सितंबर में मॉनसून की विदाई का इंतज़ार कर रहे भोपाल के लोग अब उठे ठेलने में लगे हैं. सब कह रहे हैं कि अब बस भी करो इंद्रदेव.बहुत हुआ. अगस्त में शुरू हुई बारिश सितंबर में तो क़हर ढा रही है. राजधानी में बाढ़ के हालात हैं. शहर की लाइफ लाइन बड़ा तालाब और कोलार डैम ने अपने गेट ऐसे खोले कि बंद होने का नाम ही नहीं ले रहे.
पूरा भोपाल तरबतर है. रोज घने बादल छा जाते हैं और अचानक ऐसी मूसलाधार बारिश होती है मानो नॉर्थ-ईस्ट का कोई शहर हो. मंगलवार को भी डेढ़ घंटे में 33 मिमी पानी बरस गया. भोपाल के बुज़ुर्ग बताते हैं कि ऐसी बारिश उन्होंने पहले कभी नहीं देखी. सिंतबर में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हो चुकी है.
मौसम विज्ञानी बता रहे हैं कि वो क्या वजह है जिसके कारण इस बार भोपाल में इतनी बारिश हो रही है. उनका कहना है मध्य प्रदेश के ऊपर से शियर ज़ोन गुजर रहा है. वैसे ये हमेशा दक्षिण भारत में रहता है. लेकिन इस बार भोपाल और उसके आसपास से गुजर रहा है. इसलिए ये भोपाल और पड़ोसी जि़लों होशंगाबाद, बैतूल, रायसेन, विदिशा सहित अन्य जिलों में भारी बारिश कर रहा है.
शियर जोन वो क्षेत्र होता है जहां पूर्व-पश्चिमी मॉनसूनी हवाएं मिलती हैं.हवाएं आपस में टकराती हैं और बारिश करती हैं. इसी सिस्टम के कारण पूरे प्रदेश में 23सितंबर तक लगातार बारिश होती रहेगी. शियर जोन समुद्र तल से 1.5 से 5.8 किमी ऊपर होता है. लेकिन इस बार ये1.5 किमी नीचे है. शियर ज़ोन रतलाम, उज्जैन, भोपाल, इंदौर, देवास, सागर,दमोह के ऊपर से गुजर रहा है और पानी बरसाता जा रहा है.
बाढ़ के हालात-लगातार मूसलाधार बारिश के कारण भोपाल में बाढ़ के हालात हैं.सड़कों से लेकर निचली बस्तियों तक में पानी भरा हुआ है. घरों में पानी भर गया है. ऐसा मंजर है मानो बाढ़ आ गई है.घरों में दो से तीन फीट पानी भरने से सामान खराब हो गया है..
भोपाल के कई इलाके जलमग्न हो गए हैं.कोलार ब्रिज के पास सर्वधर्म बी सेक्टर दामखेड़ा की निचली बस्तियों में पानी ही पानी नजर आ रहा है..कलियासोत नदी के पास ही स्थित झुग्गियां बस्तियां पानी की चपेट में हैं.नदी से सटे घरों में दो से तीन फीट पानी भर गया है..कुछ घर पानी में आधे डूब चुके हैं. किसी का छज्जा बह गया है और किसी की दीवार ढह रही है. समरधा,कोलार रोड,चूनाभट्टी रोड,लिंक रोड,पर पानी भर गया है.सेकंड नंबर स्टॉप पर दो फीट पानी भरने के कारण सड़क अब नदी में तब्दील हो गयी है. कोलार से 10 किलोमीटर दूर गोल गांव में बारिश अपने साथ सड़क बहा ले गयी है.
इस बार भोपाल में जैसी बारिश हुई वैसी 72 साल में कभी नहीं हुई. खुद मौसम विज्ञानी कह रहे हैं कि 4 दशक में भोपाल में इतनी बारिश होते नहीं देखी. ख़ासतौर से सितंबर में तो कभी इतनी बारिश नहीं हुई. अगर दस साल के आंकड़े देखें तो 2009 में 126.9 मिमी बारिश हुई थी. लेकिन इस साल ये अब तक 271.1 मिमी हो चुकी है.
भोपाल में भदभदा,कोलार,कलियासोत और केरवा के साथ ही बड़ा तालाब लबालब है.भदभदा डेम के गेट करीब 15 बार खोले जा चुके हैं. केरवा और कलियासोत डैम के गेट भी खोले गए.कोलार डेम के गेट 1984के बाद चौथी बार खोले गए.