देश मध्य प्रदेश

भेल अर्थव्यवस्था सुधारने लाना चाहती है विदेशी कंपनियां, सरकार लेना चाहती है जमीन

कोरोना की आड़ में चल रहा जमीन का खेल

भोपाल. भेल की खाली पड़ी जमीन को हथियाने के लिए राज्य सरकार पिछले एक दशक से प्रयासरत है। राज्य सरकार द्वारा जमीन वापसी का अरमान तब जागा, जब भेल के कुछ अधिकारियों की गलती के कारण वर्ष 2008-09 में एक पत्र जिला कलेक्टर भोपाल को लिखा गया। जिसमें भेल ने राज्य शासन को भेल की खाली पड़ी जमीन को वापस करने की मंशा जताई थी।

पूर्व में भी अतिक्रमण विस्थापन के नाम पर राज्य शासन भेल से सैकड़ों एकड़ जमीन ले चुका है। इसमें अमराई बस्ती में भेल की झुग्गियों को विस्थापित किया गया था। इसमें से राज्य शासन ने आधी से अधिक जमीन का उपयोग वीआईपी कॉलोनी एमराल्ड पार्क बनाकर करोड़ों के वारे न्यारे कर लिए।

भेल की जमीन से राज्य सरकार ने जमकर कमाया राजस्व
भेल की जमीन पर बसाई गई साकेत नगर सहित अन्य कॉलोनियों से भी राज्य शासन की एजेंसी बीडीए द्वारा जमकर राजस्व वसूली कर अच्च्छी खासी रकम कमाई गई। इस मुनाफे को देखते हुए भेल की खाली पड़ी जमीन पर मध्यप्रदेश में आने वाले सरकारों की हमेशा नजर बनी रही। लेकिन पूर्व में केंद्र में रही कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारों के भारी उद्योग मंत्री रहे संतोष मोहन देव एवं अनंत गीते राज्य सरकार की जमीन वापसी की मांग को सिरे से खारिज कर चुके हैं।

भेल बुला रही विदेश कंपनियां
कोरोना की आड़ में राज्य शासन एक बार फिर भेल से जमीन वापसी का प्रयास कर रहा है। जमीन अधिग्रहण की शर्तों के अनुसार भेल की जमीन का औद्योगिक उपयोग करना है। इसके लिए ही अधिग्रहित की गई थी। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए भेल खुद चीन में व्यापार समेट रहीं विदेशी कंपनियों को अपने साथ संयुक्त उपक्रम बनाने के लिए जमीन और भारी-भरकम मशीनरी का प्रलोभन देकर आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।

मंशा पर फिर जाएगा पानी
राज्य सरकार इस जमीन को वापस लेकर इसका उपयोग करना चाहती है। बीएचईएल व केंद्र सरकार द्वारा भेल की खाली पड़ी जमीन वापस की जाती है तो आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा भेल को चीन से विस्थापित हो रही विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम स्थापित करने की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है।

जहां एक ओर भेल अपने कर्मचारियों के वेतन और अलाउंस में कटौती कर रहा है, वहीं कारखाने में काम करने वाले हजारों लोगों के सामने भविष्य में बेरोजगारी का संकट खड़ा होने का अंदेशा है। ऐसे में बीएचईएल यदि विदेशी कंपनियों को लाने में सफल होता है तो संसाधनों और प्रशिक्षित कर्मचारियों के दम पर देश का ही नहीं, बल्कि विश्व के उत्कृष्ट प्रतिष्ठानों में अपना नाम दर्ज कराने में सफल होगा।

राज्य सरकार अब तक ले चुकी है यह जमीन
सुभाष नगर में विधायक और सांसदों के लिए आवासीय फ्लैट बनाने में उपयोग हो रहा है।
गोविंदपुरा स्थित नटराज पेट्रोल पंप के पास स्मार्ट सिटी में उपयोग
पुलिस हाउसिंग कॉलोनी आईएसबीटी और नगर निगम का कार्यालय बनाने में
हबीबगंज में सांची दुग्ध संघ
हबीबगंज रेलवे कॉलोनी
डीआरएम ऑफिस
एम्स अस्पताल का निर्माण कार्य

किया जाएगा विरोध
भेल की खाली पड़ी भूमि का उपयोग भेल के साथ औद्योगिक संयुक्त उपक्रम लगाने में ही होना चाहिए। कोरोना महामारी की आड़ में भेल एवं कारखाने में कार्यरत लोगों के हितों पर कुठाराघात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पूर्व की तरह अब भी कर्मचारियों और भेल के लाभ के बगैर भेल की एक भी इंच जमीन देने के प्रयासों का भारी विरोध किया जाएगा।
मनोज सिंह जादौन, अध्यक्ष भारतीय श्रमिक संघ

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