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भारतीय जनता पार्टी जीती, मगर जानें कैसे विपक्ष उभरा

 नई दिल्ली 
लोकसभा चुनाव के बाद हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिए उस तरह से नहीं रहे, जिसकी उम्मीद उसे होगी क्योंकि हाली ही में हुए लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी प्रचंड बहुमत से जीत कर सत्ता में आई है। आम चुनाव के बाद हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने महाराष्ट्र में एक साधारण जीत हासिल की। हालांकि, बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने बहुमत के आंकड़े को छू लिया, मगर यह भारी बहुमत नहीं है। महाराष्ट्र में मिले बहुमत ने शिवसेना के समर्थन से देवेंद्र फडनवीस के लिए एक बार फिर से मुख्यमंत्री का मार्ग प्रशस्त किया। महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की नैया भले ही पार हो गई, मगर हरियाणा में बीजेपी की नैया बीच भंवर में फंस जाएगी, ऐसी उम्मीद पार्टी को भी नहीं रही होगी। हरियाणा में बीजेपी भले ही सबसे बड़ी पार्टी है, मगर वह बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई, जिसकी वजह से राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की तस्वीर बनकर उभरी है। 

भारतीय जनता पार्टी हरियाणा में आधा रास्ता तय करने में विफल रही, जिसके बाद से अब यह अनिश्चितता उत्पन्न हो गई है कि कौन होगा राज्य का अगला मुख्यमंत्री। साथ ही इस त्रिशंकु विधानसभा के नतीजों ने वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के भविष्य  को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी अंततः निर्दलीय, जनता पार्टी जनता पार्टी और अन्य छोटे दलों की सहायता से सरकार बनाने में कामयाब हो सकती है। 

21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों और 24 अक्टूबर को आए नतीजों ने एक बार फिर से स्पष्ट कर दिया है कि भले ही भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई हो, मगर विपक्ष का भी एक तरह से उदय हुआ है। पिछले चुनाव की तुलना में हरियाणा और महाराष्ट्र में विपक्षी पार्टियों की सीटों में इजाफा नजर आ रहा है। हरियाणा में विपक्षी पार्टियां मसलन कांग्रेस और जेजेपी की सीटों की संख्या में इजाफा और उधर महाराष्ट्र में भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी की सीटों में इजाफा बताता है कि विपक्ष पिछली बार की तुलना में मजबूत हुआ है। हालांकि, यह बात सही है कि पिछली बार जहां बीजेपी ने महाराष्ट्र में अकेले चुनाव लड़ा था, इस बार शिवसेना के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने की वजह से वह पिछली बार की तुलना में कम सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतार पाई। 

तकनीकी तौर पर देखा जाए तो महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी जीत गई है और हरियाणा में सरकार बनाने के लिए बेहतर स्थिति में है। मगर विपक्ष ने दोनों जगहों पर इस चुनाव में अच्छा स्कोर किया है। लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर कहा जा रहा था कि इस बार भी भारतीय जनता पार्टी दोनों राज्यों में विपक्ष का सफाया कर देगी, मगर ऐसा नहीं हो पाया। एक तरह से देखा जाए तो विपक्ष ने इस धारणा को भी धता बता दिया है कि लोकसभा चुनाव की तरह ही विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी क्लीन स्वीप करने में कामयाब हो जाएगी। एक तरह से देखा जाए तो इन चुनावों ने राष्ट्रीय और राज्य चुनावों के इंटरसेक्शन, राष्ट्रीय और राज्य के मुद्दों, राष्ट्रीय और स्थानीय नेताओं और दोनों की पहचान की राजनीति और आर्थिक चिंताओं का ध्यान केंद्रित किया है।

महाराष्ट्र की 288 सीटों में से बीजेपी ने 105 पर जीत दर्ज की है और शिवसेना 56 सीटें जीतने में कामयाब हुई है, जिसकी बदौलत एनडीए 161 सीटें जीतकर आसानी से सरकार बनाने के लिए सक्षम है। हालांकि, बीजेपी और शिवसेना के बीच सत्ता का बंटवारा किस तरह होगा, यह अभी अनिश्चित है। हालांकि, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे नतीजे आने के तुरंत बाद गुरुवार को कहा कि बीजेपी के साथ उनका 50-50 समझौता हुआ है, जिसके मुताबिक, ढाई साल बीजेपी से मुख्यमंत्री होगा और ढाई साल शिवसेना का। उन्होंने इस बात को दोहराया कि इस डील का सम्मान किया जाना चाहिए। वहीं, एनसीपी को 54 सीटें मिली हैं और कांग्रेस 44 सीटें जीतने में सफल रही है। 

2014 में  हुए विधानसभा चुनावों के परिणाम से अगर इस साल की तुलना की जाए तो भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र में 17 सीटों का नुकसान हुआ है, वहीं शिवसेना को 6 सीटों का। इसके उलट शरद पवार की पार्टी एनसीपी को 12 सीटों का फायदा हुआ है, वहीं कांग्रेस को 2 सीटों का फायदा। बता दें कि पिछले चुनाव में बीजेपी, शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी सबने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। 

मगर सबसे बड़ा झटका तो बीजेपी को हरियाणा में लगा। 90 सीटों में से पार्टी आधा रास्ता भी तय नहीं पाई और 40 सीटें ही जीतने में सफल रही। हालांकि, हरियाणा में बीजेपी ही सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री बीएस हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी और 31 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर काबिज है। इसके अलावा दुष्यतं चौटाला के नेतृत्व में जेजेपी ने 10 सीटें जीती हैं। साथ ही 7 निर्दलीयों ने भी बाजी मारी है। माना जा रहा है कि ये सात निर्दलीय सरकार बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। वहीं, हुड्डा ने भी गैर बीजेपी पार्टीयों को साथ आकर सरकार बनाने की बात कर चुके हैं। 

2014 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम से तुलना करने पर हम बातें हैं कि भारतीय जनता पार्टी को इस बार 7 सीटों का नुकसान हुआ है। वहीं कांग्रेस को 16 सीटों का फायदा हुआ है। जेजेपी की दस सीटें फायदे में ही है। बहरहाल, हरियाणा में इस बार त्रिशंकु विधानसभा के नतीजे आए हैं और भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष दोनों ने नतीजों के बाद जीत का दावा किया है। 

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