नई दिल्ली
तुर्की ने अब नहीं माना तो संभव है कि उसके साथ भी मलयेशिया जैसा कदम ही उठाया जाए। भारत ने तीन दिनों में दूसरी बार कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देने के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन की कड़ी आलोचना की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि एर्दोआन न केवल भारत के आंतिरक मामलों में दखल दे रहे हैं बल्कि सीमापार आतंकवाद को इस्लामाबाद से मिल रहे समर्थन का भी बचाव कर रहे हैं।
भारत में तुर्की के राजदूत एस. अकीर तोरुनलर को सरकार ने सख्त लहजों में बता दिया ने तुर्की की हरकतों का भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा असर होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'कश्मीर पर एर्दोआन का बयान दर्शाता है कि ना उन्हें इतिहास की कोई समझ है और ना ही कूटनीतिक आचरण की। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन का बयान वर्तमान की संकीर्ण सोच को आगे बढ़ाने के लिए अतीत की घटनाओं से छेड़छाड़ करने वाला है।'
सरकार ने कहा कि कश्मीर पर तुर्की का बयान इस बात का एक और सबूत है कि तुर्की किस तरह दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में दखल देता है। रवीश कुमार ने कहा, 'भारत के लिए बर्दाश्त से बाहर है। हम खासकर पाकिस्तान के सीमापार आतंकवाद को तुर्की की ओर से बार-बार बचाव किए जाने पर गहरी आपत्ति जताते हैं।'