मध्य प्रदेश

भंडारण संकट: धान से लबालब हुए वेयर हाउस, अफसर परेशान

भोपाल
प्रदेश के 19 जिलों में धान खरीदी किए जाने के बाद राज्य सरकार के भंडारण की व्यवस्था गड़बड़ा गई है। इसका सीधा असर तीन माह बाद की जाने वाली गेहूं की खरीदी में पड़ेगा। इसकी वजह प्रदेश के गोदामों और वेयरहाउस में अगले एक साल तक के लिए अनाज का भंडारण उपलब्ध होना बताया जा रहा है। ऐसे में नागरिक आपूर्ति निगम और वेयर हाउसिंग कारपोरेशन के अधिकारी इस परेशानी में हैं कि आखिर किन हालातों में गेहूं का भंडारण कराया जाएगा। शासन के संज्ञान में यह मामला लाने के बाद अब एफसीआई (फूड कारोपोरेशन आॅफ इंडिया) के माध्यम से भंडारण का काम कराने की कवायद की जा रही है।

राज्य शासन के समक्ष गेहूं खरीदी के दौरान भंडारण के लिए संकट के हालात जबलपुर, रीवा और शहडोल संभागों में बन सकते हैं क्योंकि इन संभागों में अब गेहूं रखने के लिए स्पेस नहीं होने की बात कही जा रही है। बताया जाता है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली से वितरित किए जाने वाले अनाज का कोटा जून 2021 तक फुल होने के कारण भी गोदाम भरे पड़े हैं। अब सरकार के समक्ष परेशानी यह है कि गेहूं की फसल आने से पहले धान का भंडारण करने के साथ उसे उपयोग के लिए भेजना होगा जो आसान नहीं है। दूसरी ओर दो माह बाद खरीदी केंद्रों में गेहूं पहुंचने लगेगा जिसके लिए शासन ने किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और 28 फरवरी तक पंजीयन किए जाने हैं।

खरीदी केंद्रों में पड़ी धान को भंडारित कराने के लिए मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग कारपोरेशन ने बालाघाट, जबलपुर, कटनी, सतना, मंडला, रीवा, शहडोल, सीधी, सिंगरौली, उमरिया और अनूपपुर जिलों में अस्थायी कच्चे कैप बनवाने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी स्थिति यह है कि धान खुले में पड़ा है। इस धान के खराब होने की भी पूरी संभावना है।

खरीदी केंद्रों में धान के नुकसान की संभावना को देखते हुए सहकारिता विभाग लगातार पत्र लिखकर इसका भंडारण करने के लिए कह रहा है। सहकारी संस्थाओं द्वारा 20 जनवरी तक की तय अवधि में 15.85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी जिसमें से 15.54 लाख मीट्रिक टन भंडारण के लिए रेडी टू ट्रांसपोर्ट की स्थिति में है। इसके विपरीत 12.30 लाख मीट्रिक टन का ही परिवहन किया गया है। इस प्रकार 3.23 लाख मीट्रिक टन धान परिवहन के लिए पड़ा है। अफसरों के मुताबिक वेयर हाउसिंग कारपोरेशन द्वारा 1.34 लाख मीट्रिक टन धान का स्वीकृति पत्रक भी जारी नहीं किया गया है। सहकारिता अफसरों ने बारिश की स्थिति में धान के नुकसान की संभावना से भी शासन और कारपोरेशन को अवगत कराया है।

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