कोल्लम
बिहार की 26 वर्षीय एक महिला ने साबित कर दिया कि भाषाओं की कोई सीमा नहीं होती है। उन्होंने केरल में प्रवासी मजदूरों के लिए आयोजित साक्षरता परीक्षा में टॉप स्थान हासिल किया है। बिहार के एक गुमनाम गांव से ताल्लुक रखने वाली रोमिया काथुर केरल राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण की ओर से आयोजित परीक्षा में पूरे 100 नंबर लाईं।
कामयाबी की नई गाथा लिखने वालीं रोमिया ने महज चार महीने ही इस परीक्षा के लिए तैयारी की थी। काथिया अपने पति सैफुल्लाह के साथ काम की तलाश में केरल पहुंची थीं और 2014 में दक्षिणी कोल्लम जिले के उमयानाल्लूर में बस गईं।
4 महीने बेटी को साथ लेकर दी थी परीक्षा
यहां जूस की दुकान चलाने वाली काथुर तीन बच्चों की मां हैं। उन्होंने पिछले महीने अपनी चार महीने की बेटी तमन्ना को साथ लेकर स्थानीय उच्च माध्यमिक स्कूल में परीक्षा दी थी। पूरे राज्य में 19 जनवरी को आयोजित 'चांगति' योजना के दूसरे चरण में कुल 1998 प्रवासी मजदूरों ने भाग लिया था।
चांगति (दोस्त) योजना का मकसद राज्य में रहने वाले प्रवासी मजदूरों को चार महीने के भीतर मलयाली भाषा सिखाना है। अधिकारियों ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के गढ़ एर्नाकुलम जिले में इसकी शुरुआत हुई थी।