नई दिल्ली
दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वालों को अब कानूनी दर्जा मिलने जा रहा है। उनके लिए पूरे शहर में जगह तय की जाएगी। काम के लिए लाइसेंस जारी किया जाएगा। हरेक एमसीडी में तहबाजारी के तहत काम करने वालों के लिए जगह तय होगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि रेहड़ी-पटरी लगाने वालों को कानूनी दर्जा देने के लिए टाउन वेंडिंग कमिटियों का गठन कर दिया गया है। पूरी दिल्ली में 28 कमिटी बनाई गई हैं। हर कमिटी में 30 सदस्य हैं। एक कमिटी में 12 वेंडर्स सदस्यों के रूप में शामिल किए गए हैं। बाकी सदस्यों में सरकार, पुलिस, एमसीडी और एक्सपर्ट होंगे।
कमिटी तय करेगी कि कहां वेंडिंग जोन होंगे। कितने लोग वहां रेहड़ी-पटरी या तहबाजारी लगा सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब रेहड़ी-पटरी वालों को कोई एजेंसी परेशान नहीं कर सकेगी। ना ही सड़कों पर अव्यवस्था देखने को मिलेगी। पिछले तीन-चार साल में जिन रेहड़ी-पटरी वालों को हटाया गया है, वह भी टाउन वेंडिंग कमिटी के पास आवेदन कर सकते हैं। नए बाजार लगाने की इजाजत भी कमिटी ही देगी।
"कानूनी दर्जा नहीं होने के कारण रेहड़ी-पटरीवालों को कई सारी एजेंसियां परेशान करती हैं। व्यवस्थित नहीं होने की वजह से लोगों को ट्रैफिक जाम, गंदगी का भी सामना करना पड़ता है। ये सभी समस्याएं अब खत्म होंगी।"
-अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2014 में स्ट्रीट वेंडर ऐक्ट पास हुआ था। लेकिन कानून पर अमल नहीं हो पाया। दिल्ली पहला ऐसा राज्य है, जहां यह ऐक्ट लागू हो रहा है। नियम नोटिफाई किए गए हैं। दिल्ली में आप की सरकार बनते ही कोशिश की गई थी कि टाउन वेंडिंग कमिटी बना दी जाए, लेकिन नियमों को कोर्ट में चुनौती दी गई। सरकार अब सारी प्रक्रिया पूरी कर चुकी है। कमिटी के गठन का नोटिफिकेशन होने के बाद नगर निगम को रेहड़ी पटरी संचालकों का सर्वे करना होगा। कैबिनेट मंत्री सतेंद्र जैन ने सभी निगमों के साथ बैठक कर एक हफ्ते में कमिटियों की मीटिंग बुलाने को कहा और सर्वे शुरू करने को कहा। दो महीने में सर्वे पूरा करने को कहा गया है।
एक जैसे खोखे देने का प्लान
सरकार की योजना है कि पूरी दिल्ली में रेहड़ी-पटरी वालों को इंटरनैशनल स्टैंडर्ड के खोखा दिए जाएं, जिसमें सोलर लाइट और कूड़ेदान की व्यवस्था भी हो। डिजाइन एक जैसा हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर स्टडी की जा रही है। इन खोखों को किस योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को दिया जा सकता है, इस पर होने वाले खर्च का भी आकलन किया जा रहा है।
'लाइफलाइन हैं रेहड़ी'
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी बड़े शहर में रेहड़ी-पटरी लाइफ लाइन बन गई हैं। यह रोजगार देने का बड़ा साधन बनकर उभरी हैं। हांगकांग जैसे शहर में भी स्ट्रीट वेंडर्स हैं। दिल्ली में भी ऐसा ही है। यहां इनसे लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि रेहड़ी-पटरी को व्यवस्थित करने के लिए पहले किसी सरकार ने काम नहीं किया।