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बालकनी में 32 महीने दबी रही लाश…उस पर खिलते रहे फूल

 नई दिल्ली 
एक खूबसूरत मकान और उसकी बालकनी में 32 महीने से दबी एक लाश। उस लाश के ऊपर गुलाब, तुलसी और गेंदे के लहलहाते पौधे। रूह कंपा देने वाली खौफनाक कत्ल की कहानी किसी हॉरर सीरियल या उपन्यास की नहीं, बल्कि दिल्ली में घटी सच्ची कहानी है। इस कहानी के दो अहम किरदार थे-मामा और भांजा। न घरवालों को कुछ पता और न पड़ोसियों को भनक। न ही पुलिस को इसकी खबर। पौधों के नीचे दफन था एक कत्ल का राज। एक दिन अचानक उस मिट्टी से बाहर निकला कंकाल और फिर खुलीं इसकी परतें। क्राइम के किस्से में आज पढ़िए साल 2016 मामा ने कैसे किया एमबीए पास भांजे का कत्ल- 

9 अक्टूबर 2018 का दिन। द्वारका पुलिस को कॉल मिली। कॉलर ने बताया कि छत की मिट्टी हटाने पर उसके नीचे से कंकाल निकला है। पुलिस मौका-ए-वारदात पर पहुंची। मशक्कत के बाद पता लगा कि लाश ओडिशा निवासी 27 साल के जयप्रकाश नारायण की है। वह एमबीए करने के बाद नौकरी कर रहे थे। इसी मकान में वह अपने मामा विजयन महाराणा के साथ किराए पर रहते थे। 35 साल का विजयन आंध्र प्रदेश का रहने वाला था। वह गुरुग्राम में जॉब करता था। उसी के साथ भांजे की भी जॉब थी। अब सवाल ये कि मामा कहां है। पुलिस ने पता लगाया, सारे पुराने नंबर बंद मिले। उसके घरवालों को भी नहीं पता था कि विजयन कहां है।
 
6 फरवरी 2016 को हुई थी आखिरी बात 
पुलिस ने जयप्रकाश के घरवालों से संपर्क साधा। उन्होंने बताया, 6 फरवरी 2016 को उनकी बेटे से आखिरी बार बात हुई थी। 7 फरवरी को आरोपी मामा ने बताया था कि वह अपने दोस्तों के साथ वैष्णो देवी घूमने गया है। घरवाले जयप्रकाश के आने का इंतजार करने लगे, लेकिन कई दिनों तक जब कोई खबर नहीं मिली तो मामा ने ही 12 फरवरी को डाबड़ी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। हालांकि पलटकर कभी पुलिस के पास नहीं गया। उसी के कुछ दिनों बाद से मामा का भी पता नहीं था। पुलिस सोचने लगी कि क्या विजयन ने ही जयप्रकाश की की हत्या करके दफन कर दिया। 

कई प्रदेशों में छापेमारी करती रही पुलिस 
वह पलटकर कभी पुलिस के पास नहीं गया। पुलिस की कई टीमों ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में छापेमारी की। आखिरकार चार महीने बाद आरोपी की गिरफ्तारी तेलंगाना से हो सकी। पूछताछ में जो बात सामने आई उसे सुनकर पुलिस भी सहम गई। दरअसल, विजयन की गर्लफ्रेंड से भांजे की नजदीकियां बढ़ गईं। इस बात से दोनों में कई दफा नोकझोंक हुई। मामा ने जयप्रकाश को रास्ते से हटाने के लिए रात में पंखे की मोटर से वार करके हत्या कर दी। शव को ठिकाने लगाने के लिए बालकनी में मिट्टी डालकर पूजा के लिए तुलसी का पौधा लगाने के बहाने भांजे की लाश को उसमें दफन कर दिया। इसके बाद उसी मकान में अकेले रहता रहा। उसके ऊपर ईंटें भी बिछा दीं। 
 

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