नई दिल्ली
अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। 17 नवंबर के पहले कभी भी अदालत देश के सबसे पुराने विवाद में अपना फैसला सुना सकती है। इस बीच मुस्लिम पक्षकारों ने बयान जारी करते हुए कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड के अलावा हमें किसी तरह का समझौता मंजूर नहीं है। पक्षकारों ने मध्यस्थता पैनल के सामने हुई बातों को जान-बूझकर लीक किए जाने का भी आरोप लगाया है।
मुस्लिम पक्षकारों का कहना है, 'अभी हम समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट में मामला अंतिम दौर में है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के अलावा, किसी मुस्लिम पक्षकार को समझौता मंजूर नहीं। मध्यस्थता पैनल के सामने हुई समझौते की बातें जानबूझकर लीक की गईं।'
'मध्यस्थता के लिए अपनाई प्रक्रिया करते हैं खारिज'
मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से छह प्रतिनिधियों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए कहा, 'सुन्नी वक्फ बोर्ड के अलावा किसी पक्ष को समझौता मंजूर नहीं है। समझौते की शर्तें जो लीक हुई हैं, वह हमें मंजूर नहीं हैं। इसके साथ ही मध्यस्थता के लिए अपनाई प्रक्रिया को भी हम खारिज करते हैं। समझौते के लिए जमीन पर दावा वापस लेने की शर्त हमें मंजूर नहीं है।'
इस बीच बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी के संयोजक और मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने विश्वास जताया है कि कोर्ट का फैसला उनके हक में आएगा। उन्होंने कहा कि जिस नक्शे को सुप्रीम कोर्ट में फाड़ा गया, वह 1986 में प्रकाशित किताब का है, जिसे सुप्रीम कोर्ट भी नहीं मानता है।
सीजेआई 17 नवंबर को होंगे रिटायर
सीजेआई अगले महीने 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि उससे पहले अयोध्या मामले में फैसला आ सकता है। बुधवार को शाम चार बजे अयोध्या मामले पर लगातार 40 दिन तक चली सुनवाई पूरी हो गई। सीजेआई की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने संबंधित पक्षों को 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ' पर लिखित नोट रखने के लिए 3 दिन का अतिरिक्त समय दिया है।